बेतिया। रसोई गैस आपूर्ति की व्यवस्था अब बदल गई है। अलग - अलग कई गैस एजेंसियां खुल गईं है, इनमें प्रतिस्पर्धा का माहौल है। ऑनलाइन या ऑफलाइन नंबर लगाइए। एजेंसी आपके दरवाजे तक गैस पहुंचाएगी। उपभोक्ताओं राजेश सिंह कहते हैं कि वह समय बदल गया, जब लाखों की आबादी के बीच रसोई गैस की एक एजेंसी होती थी। लंबी कतारें लगती थी। उसमें भी बहुतेरे लोग को घंटों इंतजार के बाद खाली सिलेंडर लेकर वापस लौटते थे। सरकार ने उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए कई लाइसेंस निर्गत किए। स्थानीय प्रखंड में सात एजेंसियां हैं। औसतन तीन-चार पंचायतों पर एक एजेंसी का संचालित होना उपभोक्ताओं के लिए राहत बनकर आया है। स्थिति यह बन गई कि अब एजेंसियों के बीच उपभोक्ताओं के प्रति सुविधाएं मुहैया कराने की होड़ है। घरेलू गैस प्रति सिलेंडर 818 रुपये में उपभोक्ताओं को दरवाजे तक पहुंचा कर आपूर्ति करना है। कई एजेंसी संचालकों ने बताया कि इस दर पर ही आपूर्ति की जाती है। ग्रामीण उपभोक्ता अरविद कुमार, हरेंद्र साह, राजेंद्र तिवारी, अजय कुमार का कहना है कि अब टेलीफोन से नंबर लगाते हैं और निर्धारित तिथि को गैस लदे वाहन दरवाजे तक पहुंचते हैं। रसोई गैस की आपूर्ति समय से होती है। अलबत्ता कभी कोई हड़ताल का समय हो या फिर ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल हो। उस वक्त थोड़ी समस्याएं जरूर उत्पन्न होती हैं। इस बात को एजेंसी संचालक भी स्वीकार करते हैं।
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शिकायत पर होती त्वरित जांच
सरकार द्वारा कई गैस एजेंसी को लाइसेंस देना और सरकार के आदेश पर आपूर्ति विभाग और प्रशासन द्वारा समय-समय पर मॉनीटरिग करने का असर दिख रहा है। हर माह अनुमंडल अनुश्रवण समिति की बैठक में आपूर्ति व्यवस्था की समीक्षा की जाती है। अनुमंडल पदाधिकारी इसकी समीक्षा करते हैं। समय-समय पर सुधार की दिशा में उन्हें आवश्यक निर्देश दिया जाता है। एजेंसियों की जांच भी की जाती है। कोट
पिछले छह महीने में गैस आपूर्ति से जुड़ी कोई शिकायत नहीं मिली है। अब एजेंसियों के बीच इस बात की प्रतिस्पर्धा रहती है कि उनके पास अधिक से अधिक ग्राहक हों। निर्धारित दर पर उपभोक्ताओं को गैस मिले इस पर विभाग की हमेशा नजर रहती है।
रामलाल पासवान
प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी
नरकटियागंज
Posted By: Jagran
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