हरनौत : हरनौत स्थित गोगीपर जलापूर्ति केंद्र में दो वर्षों से चल रहे वाटर टेस्टिग लैब का सरकारीकरण हो गया है। वर्ष 2018 में स्पेक्ट्रो नाम की कंपनी के द्वारा राज्य सरकार से एकरारनामा पर यहां लैब खोला गया था। पर घाटा लगने के कारण कंपनी ने अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया। पिछले वर्ष 25 दिसंबर से पीएचईडी द्वारा इसे संचालित किया जा रहा है। लैब में केमिस्ट के पद पर सौरभ कुमार व आनंद लैब अटेंडेंट हैं। लैब के अंतर्गत हरनौत व रहुई प्रखंड पोषक क्षेत्र में आता है। केमिस्ट सौरभ कुमार ने बताया कि प्रखंड का सिरसी गांव सबसे पहले फ्लोराइड से सबसे ज्यादा प्रभावित पाया गया था। पानी में फ्लोराइड की मात्रा एक से डेढ़ मिग्रा प्रति मि.ली होनी चाहिए। पर वहां तीन मिग्रा से अधिक मिला है। इस वजह से वहां लोग बीमार हो रहे थे। यहां नल-जल योजना से तीन बोरिग करवाकर पानी की जांच के बाद सप्लाई की जा रही है। साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा लगातार इस पर नजर रखी जा रही है। हरनौत बाजार के अंबेदकर नगर में महावीर मांझी के घर भी पानी में फ्लोराइड की मात्रा मिली है। सबसे खतरनाक तत्व आर्सेनिक की शिकायत भी गोगीपर के कंचन विश्वकर्मा के चापाकल के पानी में पाया गया है। इसकी वजह से हाइपरटेंशन, कैंसर व बाल गिरने की परेशानी होती है। विभाग ने चापाकल बंद करवाकर पेयजल का दूसरा विकल्प उपलब्ध कराया है। बताया गया कि पानी में आर्सेनिक की अधिकतम 0.05 मिग्रा निर्धारित है। लेकिन वहां 0.25 था। इसके अलावा बड़ी आमर के कृष्णा सिंह के यहां हार्डनेस 986 और सोराडीह के शत्रुघ्न राम के यहां 1174 मिग्रा पाया गया था। जबकि निर्धारित मात्रा दो से छह सौ मिग्रा बताई जाती है। इसकी अधिकता से पाचन तंत्र में गड़बड़ी व किडनी में संक्रमण का खतरा होता है। बस्ती के मोहम्मद फारुखी के यहां आयरन की मात्रा 1.19 मिग्रा मिला था। जबकि सामान्य स्तर 0.3 से एक मिग्रा होता है। इनकी शिकायत के बाद जांच कर पाए गए अधिक मात्रा के हानिकारक तत्वों के आलोक में आवश्यक कदम विभाग ने उठाये थे और लगातार इसकी मॉनीटरिग की जा रही है। पब्लिक वाटर सप्लाई योजना में पानी की जांच कर ही सप्लाई का प्रावधान है।
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Posted By: Jagran
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