संसू.,फुलकाहा (अररिया):
जहां एक ओर सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किये जाने को लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं भारत नेपाल से सटे महत्वपूर्ण थाना फुलकाहा घोर विभागीय उपेक्षा का दंश झेल रहा है। फुलकाहा थाना को न तो अपनी जमीन है और न ही अपना भवन। विपणन भवन में थाना का कब्जा है।
नरपतगंज प्रखंड के भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के अंतर्गत बने फुलकाहा थाना को आज तक एक अदद न तो भवन है, न मालखाना और न हाजत, जिस कारण इस थाना क्षेत्र से पकड़े गए अपराधियों व गुनहगार को या तो नरपतगंज थाना के हाजत में रखा जाता है नहीं तो थाना में चौकी से रस्सी बांधकर हथकड़ी लगाकर चौकीदार की देख-रेख में रखा जाता है। वहीं मालखाना नहीं होने के कारण जब्त सामानों को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। इन सबके बीच फुलकाहा थाना में पदस्थापित पुलिस कर्मियों को प्रत्येक दिन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
ट्रैक्टर पर लोड पटवा में शार्ट सर्किट से लगी आग यह भी पढ़ें
थाना का दर्जा मिले नौ वर्ष से अधिक बीत गया है। लेकिन, अभी तक थाना को अपना भवन बनने की कौन कहे, जमीन तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। पहले यही थाना प्राइवेट जमीन पर जबरन चल रहा था।
बताते चलें कि डेढ़ वर्ष पूर्व तत्कालीन नरपतगंज अंचलाधिकारी दयाशंकर तिवारी ने यहां एक सरकारी जमीन पर थाना बनाने के लिए जमीन की मापी भी की, कितु अब तक इसकी कोई सुगबुगाहट नहीं है। विपणन भवन में थाना भी भगवान भरोसे चल रहा है। आवश्यकता आज हर कोई महसूस कर रहा है। वर्ष 1978 में फुलकाहा में पुलिस चौकी की स्थापना हुई, स्थापना के कुछ वर्षों के बाद ओपी बना तथा फुलकाहा थाना एक अक्टूबर 2011 को विधिवत थाना का दर्जा मिला। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए इसे 2011 में थाना बना दिया गया। लेकिन यह थाना फुलकाहा बाजार स्थित सैरात की जमीन पर बने विपणन भवन में चल रहा है। जिसमें दो छोटे छोटे कमरे और एक गोदाम बना हुआ है। एक कमरा में थानाध्यक्ष हरेश तिवारी का कक्ष दूसरे में पुलिस का आवास है। गोदाम में सिरिस्ता का कार्य और कुछ पुलिसकर्मी अंदर की ओर कुछ बाहर बने फुस और टीने के बने जर्जर घर में रहते हैं। इस थाना क्षेत्र में सात पंचायतें आती हैं। इनमें नवाबगंज, मनिकपुर, भंगही, पोसदाहा पंचायत के आधा भाग अंचरा, मधुरा उत्तर के आधा भाग, मधुरा पश्चिम के कुछ भाग शामिल हैं। स्थापना के इतने साल के बाद भी अब तक इसका निर्माण विभाग द्वारा नहीं कराया जा सका है। थाने में कार्यालय के लिए अलग से कमरा है न होमगार्ड, जवान व पदाधिकारी के रहने के लिए मकान। दो वर्ष पूर्व हाजत नहीं होने का खामियाजा यहां के तत्कालीन थानाध्यक्ष श्यामनंदन यादव को भुगतना पड़ा जब शराब तस्करी के आरोप में पकड़े गए तस्कर पुलिस की गिरफ्त से हथकड़ी समेत फरार हो गया था। हाजत की व्यवस्था नहीं रहने के कारण पकड़े गए आरोपियों को शौच व विभिन्न तरह के जरूरतों के लिए समय-समय पर बाहर निकालना पड़ता है। जिससे आरोपी को भागने का मौका मिल जाता है।
इस संबंध में फुलकाहा थानाध्यक्ष हरेश तिवारी ने बताया कि फुलकाहा थाना की सूची बनाकर वरीय अधिकारी को सौंपी गई है उन्होंने कहा कि यहां थाना के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। अगर थाना बन जाए तो यहां कैदी को रखने के लिए सुविधा होगी और पुलिसकर्मी को रहने के लिए भी जगह मिल जाएगा।
सड़क निर्माण से पंचायतवासियों को होगी सुविधा यह भी पढ़ें
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस