- शिकायत के बाद भी नहीं हो रही है कोई कार्रवाई
संवाद सूत्र, तारापुर (मुंगेर) : पर्यावरण संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल जीवन हरियाली अभियान की शुरुआत की। लेकिन, मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को बालू माफिया की काली नजर लग गई है। अवैध बालू खनन तथा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से रोकने के प्रशासनिक दावें खोखले साबित हो रहे हैं। मजेदार तथ्य यह है स्थानीय ग्रामीणों के सूचना के बावजूद प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होती है। बल्कि लिखित आवेदन पर यह आश्वासन जरूर कर दिया जाता है कि कड़ी कार्यवाही होगी,परंतु हकीकत वस्तु स्थिति से कोसों दूर है।
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बिहमा पंचायत के धर्मराय के ग्रामीणों ने तारापुर एसडीओ को लिखित आवेदन देते हुए कहा है कि संध्या 7:00 बजे के बाद से ही उनके गांव के पूरब बडुआ नदी बांध से जेसीबी लगाकर दर्जनों की संख्या में डंपर और ट्रैक्टर पर बालू का जबरदस्त उठाव बालू माफियाओं द्वारा किया जाता है । जिसकी सूचना पुलिस प्रशासन को देने के बाद भी कार्यवाही नहीं हुई है। इसमें शामिल लोग हरवे हथियार से लैस भी रहते हैं । बालू उठाव से नदी के बांध पर लगे हुए कई फलदार वृक्ष सहित अन्य लकड़ी के पेड़ भी जड़ से उखड़ से जाते हैं। अवैध बालू उत्खनन का विरोध करने पर बालू माफियाओं द्वारा ग्रामीणों को जान से मारने की धमकी भी दी जाती है। ग्रामीणों ने कहा कि शाम होने के बाद से हम लोगों का भय से घर से निकलना भी दुश्वार हो जाता है। ग्रामीणों ने कहा कि रात भर बालू का कारोबार चलने के बावजूद प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रही है। एसडीओ द्वारा आवेदनकर्ताओं को समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
गौरतलब है कि जल संसाधन विभाग के द्वारा नदी के पश्चिमी भाग पर बाढ़ सुरक्षा बांध का निर्माण लगभग एक करोड़ रूपये प्रति किलोमीटर की दर से राशि खर्च कर कराया गया है। जिसे भी बालू माफियाओं द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। बांध की सुरक्षा का जिम्मा बाढ़ नियंत्रण जल संसाधन विभाग बौसी को दिया गया है, जो यहां से 80 किलोमीटर दूरी पर है। ऐसे में बालू माफियाओं से तटबंध की सुरक्षा करने वाला भी कोई नहीं है।
Posted By: Jagran
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