राष्ट्रीय शूटिग प्रतियोगिता के आयोजन से गौरवान्वित है वाहिनी



राज्य की सबसे पुरानी बिहार सैन्य पुलिस की द्वितीय वाहिनी का इतिहास शौर्य व उपलब्धियों से परिपूर्ण
है। जिसके लिए यह वाहिनी गौरवान्वित है। इस वाहिनी को अनेकों अवसर पर राज्य के बाहर प्रति नियुक्त होने के लिए विशिष्टता प्रदान किया गया है। साथ ही राज्य में अपराध और नक्सल उन्मूलन में इस वाहिनी ने अद्वितीय भूमिका का निर्वहन किया है। अखिल भारतीय शूटिग प्रतियोगिता के यहां आयोजन से इस वाहिनी के लोग गौरवान्वित हैं। उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार इस वाहिनी का निर्माण भागलपुर मिलिट्री पुलिस के नाम पर 18 मई 1898 में हुआ था। जिसे बिहार सैन्य पुलिस के नाम से 1943 में स्थापित किया गया। सिचाई विभाग द्वारा इस वाहिनी को 78.87 एकड़ जमीन एक अप्रैल 1948 को स्थानांतरित किया गया।
पत्नी को चाकू मार किया जख्मी, गिरफ्तार यह भी पढ़ें
एक फरवरी 1945 से यह वाहिनी बीएमपी दो के नाम से स्थाई रूप से यहां स्थापित है। 1949-50 में कोलकाता, 1953 में जम्मू और कश्मीर, 1961 में दिल्ली व 1962 से 1966 तक त्रिपुरा में विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस वाहिनी को प्रतिनियुक्त किया गया। पुन: 1971 में कश्मीर के श्रीनगर में आंतरिक सुरक्षा का कार्य इसके जिम्मे दिया गया। 1972 से 1974 तक रांची के नामकुम में युद्ध बंदी कैदी की हिफाजत को भी वाहिनी तैनात रही। 1973 में ओड़िसा में चुनाव कराने की जवाबदेही भी सफलतापूर्वक निभाई।
इस वाहिनी के पहले कमांडेंट 15 मार्च 1943 को अंग्रेज अधिकारी जेईजो चरचर थे। जबकि पहले भारतीय कमांडेंट 1945 में बीबी बनर्जी बने। वाहिनी की स्थापना से अब तक 15 अधिकारियों को उत्कृष्ठ सेवा के लिए पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है ।
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार