जहानाबाद । शहर में शायद ही कोई ऐसा चौक चौराहा या गली मोहल्ला हो जहां निजी क्लिनिक न हो। क्लीनिक में मरीजों की भीड़ लगी रहती है। विशेषज्ञों के बोर्ड के साथ पूरे तामझाम से क्लीनिकों का संचालन हो रहा है लेकिन सरकार के रजिस्टर में अपने क्लिनिक का पंजीयन कराना संचालक मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। परिणामस्वरूप दर्जनों क्लीनिक के बावजूद शहर में मात्र सात क्लिनिकों का पंजीयन है। पंजीयन न होने के कारण क्लिनिक के संचालक स्वास्थ्य विभाग के गाइडलाइन का पालन नहीं करते हैं। स्वास्थ्य विभाग इस दिशा में सक्रिय नहीं दिख रही है जिस कारण ही लगातार बिना लाइसेंस के क्लीनिकों का संचालन हो रहा है। यह हालात जिला मुख्यालय का है जहां स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारियों का कार्यालय है, फिर भी उनकी नजर इस ओर नहीं है। निजी क्लीनिकों में मरीजों से जांच के नाम पर मोटी रकम ली जाती है। हद यह कि पैसा खर्च करने के बावजूद मरीजों को गुणवतापूर्ण स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पाता है। जब कभी कोई घटना घटती है तो हो हंगामे को शांत करने के लिए विभाग के लोग सक्रियता दिखाते हैं। सिविल सर्जन कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर शहर में शंभू सेवा सदन, सरस्वती क्लीनिक, धर्मशीला क्लिनिक, डॉ. रूपा सिन्हा का क्लीनिक, संजीवनी सेवा सदन, मगध सेवा सदन तथा डॉ. अरूण कुमार के क्लीनिक का पंजीयन है। इसके अलावा अन्य सभी क्लीनिक बिना पंजीयन के चल रहा है। इससे सरकारी राजस्व की क्षति हो रही है। कहते हैं सिविल सर्जन
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जिन क्लीनिकों का रजिस्ट्रेशन नहीं है उन्हें चिन्हित किया जा रहा है। पहले तो पंजीयन कराने के लिए कहा जाएगा, बावजूद संचालक सक्रिय नहीं होंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. विजय कुमार सिन्हा, सिविल सर्जन, जहानाबाद।
Posted By: Jagran
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