जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती कर किसानों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के साथ खेती पर प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराने के लिए उद्यान विभाग ने पहल शुरू कर दी है। सहायक निदेशक ने राज्य मुख्यालय को पत्र लिखकर कैमूर जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण देने व प्रोत्साहित करने के लिए अनुरोध किया है। ताकि कैमूर जिले में परंपरागत खेती धान गेहूं के अलावा स्ट्रॉबेरी की खेती कर अधिक लाभ जिले के किसान प्राप्त कर सकें। स्ट्रॉबेरी खेती की शुरुआत जिले के कुदरा प्रखंड के सकरी गांव के किसान ने शुरू की है। यह खेती अन्य खेती की अपेक्षा अधिक लाभ प्रदान करने वाली है। इस संबंध में प्रभारी सहायक निदेशक उद्यान संजय कुमार ने बताया कि कैमूर जिले में स्ट्रॉबेरी खेती शुरू की गई है। यह खेती कुदरा प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सकरी गांव के किसान रामकेर सिंह ने शुरू की है। जिन्हें विभाग द्वारा सिचाई आदि के लिए स्प्रींकलर कृषि यंत्रों पर अनुदान भी उपलब्ध कराया गया है। सहायक निदेशक ने कहा कि स्ट्रॉबेरी की खेती अन्य परंपरागत खेती से हटकर है। इसका बाजार बंगाल बोकारो धनबाद जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर बेहतर है। उन्होंने कहा कि स्ट्रॉबेरी का फल पौष्टिक और एनर्जी युक्त है। जो बाजार में 800 रुपए प्रति किलो तक बिकता है। उन्होंने कहा कि कैमूर जिले में इस खेती को बढ़ावा देने के लिए जिले के किसानों को जिला स्तर पर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने व प्रोत्साहित करने के संबंध में राज्य मुख्यालय को पत्राचार किया गया है। अनुमति मिलते ही जिला मुख्यालय पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को चिह्नित कर उन्हें प्रशिक्षण दिलाकर इस खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि औरंगाबाद जिले में इसकी खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के अंतर्गत किसान को ड्रिप मिनी स्प्रींकलर कृषि यंत्रों पर यूनिट लागत राशि का 90 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया गया है। ताकि खेती को बेहतर ढंग से किया जा सके। सहायक निदेशक ने कहा कि जिले में सिचाई योजना के अंतर्गत पपीता केला आम अमरूद सब्जी अनार गन्ना आदि फसलों की सिचाई आसानी से की जा सकती है। वहीं मिनी स्प्रींकलर से आलू प्याज धान गेहूं के अलावा सब्जी आदि की सिचाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के अंतर्गत ड्रीप सिचाई पद्धति है तो 90 प्रतिशत तथा इन स्प्रींकलर सिचाई पद्धति में 75 प्रतिशत अनुदान सभी श्रेणी के किसानों को दिए जाने की व्यवस्था निश्चित की गई है।
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Posted By: Jagran
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