बक्सर : मौनी अमावस्या शुक्रवार को है और बक्सर में मोक्षदायिनी व उत्तरायिणी गंगा होने के नाते स्नान किये जाने का और भी विशेष महत्व है। इस कारण आसपास के जिला समेत उत्तरी बिहार व नेपाल क्षेत्र के कई जिले से भी गंगा स्नान को श्रद्धालु उमड़ते हैं। बल्कि, दूरदराज से पहुंचने वाले बहुतेरे श्रद्धालु एक दिन पूर्व ही यहां पड़ाव ले लिया करते हैं। जिससे इस अवसर पर शहर में अच्छी-खासी चहलपहल बनी रहती है। बल्कि, वाहनों की उमड़ने वाली भीड़ के कारण सड़क मार्ग भी अवरुद्ध प्रतीत होने लगता है।
दो दिन पूर्व बढ़ी ठिठुरन से बुधवार को खिली धूप के कारण काफी राहत है। यह अलग बात है कि सुबह 8 बजे तक कोहरे की वजह से विजिबिलिटी कम दिखी। वैसे यहां गंगा स्नान को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लाखों में रहती है। मोक्षदायिनी गंगा होने के कारण कई लोग पिडदान जैसे कर्तव्य का निर्वहन भी करते हैं। बल्कि, गोपालगंज, रक्सौल, बख्तियारपुर, समस्तीपुर आदि समेत कई इलाके से पीढि़यां-दर-पीढि़यां विधि-विधान से गंगा स्नान कर यहां का पवित्र जल अपने देवालयों में जलार्पित करते चली आ रही हैं। उनका आगमन एक दिन पूर्व या भोर से ही होने लगता है। बहुतेरे अपने निजी वाहनों से यहां पहुंचते हैं। इनके जत्थे में महिला एवं पुरुष दोनों होते हैं। कमरथु पुरुष (कावड़ चढ़ाने वाले) जो कम से कम 20 या इससे अधिक की संख्या में होते हैं, ऐसे जत्थे सैकड़ों में नजर आते हैं। जिनका आगमन गुरुवार से यानि आज से ही होने लगेगा।
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वाणी नियंत्रण की क्रिया का शुभ दिन
इस दिन गंगा में स्नान करना विशेष फलदायक है। मान्यता है की इस दिन गंगा का जल अमृत समान हो जाता है और इस अवसर पर गंगा में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति एवं पुण्य-लाभ के साथ अश्वमेघ यज्ञ करने के सामान फल की प्राप्ति होती है। आचार्यों ने कहा कि इस दिन मौन व्रत धारण करके ही स्नान करना चाहिए। बल्कि, वाणी पर नियंत्रण करने की क्रिया का शुभ दिन है। इस दिन को दान-पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर प्राप्त होता है।
शुक्रवार को पूरे दिन गंगा स्नान का योग
आचार्य (प्रो.) मुक्तेश्वरनाथ शास्त्री ने बताया कि माघी अमावस्या गुरुवार की मध्यरात्रि 1.41 बजे से प्रारंभ होकर शुक्र-शनि की मध्यरात्रि 2 बजकर 6 मिनट तक है। अत: शुक्रवार को स्नान का योग दिनभर है। परंतु, आचार्य का कहना है कि प्रात: में स्नान कर पीपल की पूजा इस दिन जरूर करनी चाहिए। इससे सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। क्योंकि, पीपल की जड़ में श्री हरि विष्णु, तने में भगवान शिव और इसके अग्रभाग में ब्रह्मा जी के निवास की मान्यता है। बल्कि, इस दिन पितरों को तर्पण करने से उन्हें भी तृप्ति मिलती है।
Posted By: Jagran
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