आधी से कम गर्भवती व एक तिहाई से कम पुरुष ही कराते हैं एचआईवी जांच

जासं, शेखपुरा :

एड्स नियंत्रण की राष्ट्रीय मुहिम को जिला के लोगों का खास सहयोग नहीं मिल रहा है। जिले में इसकी जांच की मुफ्त व्यवस्था तथा डॉक्टरों की सलाह के बाबजूद लोग इसकी जांच से दूर भागते हैं। एचआईवी जांच की सबसे बुरी दुर्गति पुरुषों की है। महिलाएं तो जैसे-तैसे इसकी जांच कराने को राजी हो जाती हैं, मगर पुरुष अपनी इस जिम्मेवारी में पुरुषार्थ को दिखाने के फेर में महिलाओं को आगे करके खुद पीछे हट जाते हैं। इस बाबत जिला में एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की अधिकारी प्रो सुनीता बताती हैं सरकार ने एड्स पर नियंत्रण के लिए सभी गर्भवती महिला तथा उसके पति की एचआईवी जांच को अनिवार्य कर दिया है। यह जांच भी पूरी तरह मुफ्त है तथा रिपोर्ट पोजेटिव आने पर समूचा इलाज भी मुफ्त है। इसके बाबजूद लोग इससे भागते हैं । जिला में जो गर्भवती महिलाएं इसकी जांच कराती हैं उनकी संख्या 50 प्रतिशत से भी कम है। पुरुषों में यह आंकड़ा एक तिहाई से भी नीचे है। नई व्यवस्था में संस्थागत प्रसव के लिए पंजीकृत होने वाली सभी महिला तथा उसके पति को एचआईवी जांच की लिखित सलाह दी जाती है। मगर लोग डॉक्टरी सलाह भी नहीं मानते ।

--- पिछले साल 25 पोजेटिव केश मिला--- बीते साल 2019 में जिला में एचआईवी पोजेटिव के 25 नये मामले चिहित किये गए हैं। प्रो सुनीता बतातीं हैं पिछले साल जो 25 पोजेटिव मामले मिले हैं उसमें चार नवजात शिशु भी शामिल हैं। इसके अलावे 11 पुरुष तथा 10 महिला पोजेटिव पाई गई हैं । बीते साल दिसंबर महीने में कोई पोजेटिव केस नहीं मिला। इसके पीछे वजह टेस्ट किट्स का नहीं होना बताया गया । प्रो सुनीता ने बताया अब टेस्ट किट्स आ गया है। अब सदर अस्पताल सहित जिले के सभी पीएचसी में एचआईवी की जांच हो रही है।
सैंया परदेश से ला रहे बीमारी की सौगात---
जिला में धीरे-धीरे फैल रहे एचआईवी की बीमारी में बिहार के बाहर बड़े शहरों में काम करने वाले पुरुष संवाहक का काम कर रहे हैं। बताया गया जिला में एचआईवी पोजेटिव के जितने मामले मिले हैं उसमें यह पाया गया है पीड़ित महिला का पति दूसरे शहरों में रहकर काम करते हैं। इसमें अधिकांश वैसे लोग ही हैं जो बड़े शहरों में छोटे-मोटे काम या फिर कारखानों -फैक्ट्रियों में दैनिक मजदूरी करते हैं। ऐसे लोग वहां असुरक्षित यौन संबध बनाके खुद एचआईवी से ग्रसित हो जाते हैं। बाद में घर आकर अपनी पत्नी से यौन संबंध स्थापित करके इस गंदी बीमारी का सौगात दे जाते हैं ।
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पीड़ित रोगी का मुफ्त इलाज होता है-- एचआईवी पोजेटिव मामलों के पीड़ित रोगियों की मुफ्त चिकित्सा की जाती है। प्रो सुनीता बताती हैं जांच में आई रिपोर्ट तथा एचआईवी पोजेटिव की स्थिति के मुताबिक उन्हें अलग-अलग अवधि की दवा दी जाती है । इस इलाज के दौरान रोगी पर नियमित रूप से नजर रखी जाती है। गर्भवती महिला में पोजेटिव केश मिलने पर गर्भस्थ शिशु को इससे बचाने के लिए प्रसव से पहले ही उसका भी इलाज शुरू कर दिया जाता है। अगर नवजात शिशु इससे ग्रसित मिला तो उसका इलाज अलग से किया जाता है ।
Posted By: Jagran
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