- इसुआपुर के मध्य विद्यालय अमरदह में निर्माण राशि गबन का मामला
जागरण संवाददाता, छपरा : इसे विभागीय लापरवाही कहा जाए अथवा अधिकारियों की मनमानी? जिस प्रखंड शिक्षिका रंजू के खिलाफ डीडीसी की अध्यक्षता वाली जांच टीम ने दस साल पहले गबन की प्राथमिकी की अनुशंसा की थी, उसे थाने तक पहुंचाने में दस साल लग गए। वह भी सारण आयुक्त सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार की पहल पर। हद तो यह कि बीईओ कार्यालय से इस आदेश को इसुआपुर थाने तक पहुंचने में करीब साढ़े पांच साल लग गए।
बताया जाता है कि इसुआपुर के मध्य विद्यालय अमरदह में चारदीवारी एवं सीआरसी भवन निर्माण में अनियमितता के लेकर संजय कुमार सिंह एवं अन्य ग्रामीणों ने डीएम को आवेदन दिया था। डीएम के आदेश पर तत्कालीन डीडीसी की अध्यक्षता में एनआरईपी कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता एवं इसुआपुर बीडीओ की चार सदस्यीय टीम ने 2 फरवरी 2010 को योजना की जांच की थी। इसके पहले डीडीसी ने 18 जनवरी 2010 को जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय से योजना के मूल अभिलेख, प्राक्कलन, मापी पुस्तिका आदि की मांग की थी। शिक्षा कार्यालय ने टीम को कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया। जांच में निर्माण कार्य को प्राक्कलन के अनुरूप नहीं पाया गया। निर्माण को ध्वस्त कराकर नए सिरे से कार्य कराने की आवश्यकता बताई। जांच टीम ने 19 फरवरी 2010 को सौंपी गई रिपोर्ट में इस गड़बड़ी के लिए संबंधित लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराने तथा अभिलेख उपलब्ध नहीं कराने वाले शिक्षा अधीक्षक से स्पष्टीकरणकी भी अनुशंसा की थी।
वरीय अधिकारियों की अनुशंसा करीब चार साल तक फाइलों में दब कर रह गई। लेकिन ग्रामीणों की सक्रियता से डीपीओ स्थापना ने 5 नवंबर 2014 को बीईओ इसुआपुर को सरकारी राशि गबन की प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया। लेकिन मामला फिर फाइलों में दब कर धूल चाटता। इसे थाने तक पहुंचने में करीब साढ़े पांच साल लग गए। इस बीच बीआरपी अरुण कमार सिंह ने आयुक्त सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार के समक्ष इसे रखा। उनकी पहल पर पूरे दस साल बाद इसुआपुर थाने में प्रखंड शिक्षिका रंजू कुमारी के विरूद्ध 8 जनवरी 2020 को बीईओ ने प्राथमिकी दर्ज कराई।
Posted By: Jagran
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