चंद्रयान-3 के सफलतम लैंडिंग के इस सफलता में बिहार के गया जिले के रहने वाले इसरो वैज्ञानिक सुधांशु कुमार का भी अहम योगदान रहा है. बता दें कि श्रीहरिकोटा लॉन्च व्हीकल प्रोवाइड करता है और सुधांशु उसी लॉन्च व्हीकल टीम के हिस्सा थे.
सुधांशु कुमार एक प्रतिभावान विद्यार्थी है और इनकी प्राथमिक पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से हुई थी, घर की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं होने के बाद भी माता पिता ने जैसे तैसे करके अपना बेटे को बीटेक कराया. इसके बाद इनका चयन 2021 में इसरो में हो गया. आज भी सुधांशु के पिता घर में आटा चक्की चलाते हैं, जबकि माता गृहणी हैं.
चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग के बाद श्रीहरिकोटा में वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे सुधांशु कुमार ने अपनी मां से फोन पर बात की. वे इस सफलता पर काफी खुश दिख रहे थे. उन्होंने अपने माता-पिता से कहा कि उन्हीं के आशीर्वाद से आज इसरो में वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं और चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग टीम में शामिल होने का अवसर मिला. ज्यादा व्यस्तता होने के कारण लगभग 40 सेकंड तक अपनी मां से बात कर इस सफलता पर खुशी का इजहार किया.
अपने बेटे से बात करते हुए बिंदु देवी भावुक हो गई और अपने बेटे को आशीर्वाद देते हुए भविष्य में और भी इस तरह के अभियान में सफलता पाने का आशीर्वाद दिया. पत्रकारों से बात करते हुए सुधांशु की मां ने बताया कि चंद्रयान-3 की सफलता पर उनके बेटे सुधांशु के अलावा सभी वैज्ञानिकों का सहयोग रहा, जिसने आज पूरे देश को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है. इन्होंने बताया कि बहुत गरीबी में बेटे को पढ़ाया.