जागरण संवाददाता, गोपालगंज: गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या की घटना को करीब 29 साल बीत गए हैं। इस हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को बिहार सरकार ने रिहा कर दिया है।
बिहार सरकार के इस कदम के बाद से डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड का मुद्दा एक बार फिर बिहार की राजनीति में गर्म हो गया। जहां कुछ लोग सरकार के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, वहीं ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या है, जो सरकार के इस कदम पर सवाल उठा रहे हैं।
डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड की 29 साल पुरानी घटना को याद करते हुए उनके कार ड्राइवर दीपक सहम जाते है। कोर्ट के आदेश से जेल में बंद आनंद मोहन की रिहाई की खबर मिलने के बाद दीपक कुमार के आंखे नम हो गई।
घटना 1994 की है, जब उग्र भीड़ ने एक आईएएस अधिकारी की हत्या कर दी गई। यह हत्याकांड पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था और एक बार फिर यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। आईएएस जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की जेल से रिहाई मामले को लेकर बिहार के सियासत में खलबली मची हुई है।
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जानकारी के अनुसार, तेलंगाना के रहने वाले आईएएस अधिकारी जी.कृष्णैया 1994 में गोपालगंज जिले के जिलाधिकारी थे। वे 5 दिसंबर 1994 को हाजीपुर से मुजफ्फरपुर के रास्ते गोपालगंज आ रहे थे। इसी बीच मुजफ्फरपुर में बेकाबू भीड़ के शिकार हो गए। इस घटना में उनकी मौत हो गई।
इस पूरी वारदात का चश्मदीद जिलाधिकारी जी. कृष्णैया के कार के चालक दीपक कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने उस दिन की बातों का जिक्र करते हुए कहा की हम लोग गोपालगंज से मुजफ्फरपुर होते हुए हाजीपुर मीटिंग के लिए गए थे।
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मीटिंग के बाद हम मुजफ्फरपुर के रास्ते लौट रहे थे। उस समय जुलूस जा रहा था, और हम साइड से निकल रहे थे। इस बीच जुलूस में चल रहे लोगों ने गाड़ी को घेर लिया और बॉडीगार्ड को बाहर खींच लिया। इसके बाद उन्होंने गाड़ी पर हाथ चलाना शुरू कर दिया। मैंने इसके बाद भीड़ में से गाड़ी निकाल लिया लेकिन साहब ने बॉडीगार्ड के लिए मुझसे गाड़ी रोकने के लिए कहा, लेकिन मैंने इनकार कर दिया।
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इसी बीच लोगों ने फिर से गाड़ी को घेर लिया और मेरी गर्दन को दबा दिया। किसी तरह मैंने अपनी गर्दन छुड़ा पाया। तभी कुछ लोगों ने साहब को गाड़ी से खींच लिया। इसके बाद हम भी वहां से भाग गए। जब हम वापस आए तो देखा कि वे घायल पड़े हुए थे। गाड़ी में सवार हम तीनों लोग तीन अलग-अलग जगह हो गए थे।
भीड़ जब शांत हुई तो वहां से पुलिस की गाड़ी गुजर रही थी। इसके बाद पुलिस को बताया गया कि जख्मी गोपालगंज के डीएम हैं। इसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया। वहां उनकी मौत हो गई। इस हादसे में चालक दीपक के एक कान में चोट लगी थी। इससे उनको आज भी कम सुनाई देता है।