संवाद सूत्र, सिकंदरा(जमुई)। नभ के बादल क्यूं रोते हैं, जब गगनचुंबी शिखर चूमते हैं। सचमुच इस युक्ति को जमुई जिले के धरसंडा गांव के ई. बालेश्वर यादव के पौत्र सांतवीं कक्षा के छात्र वेदांत यादव ने चरितार्थ कर दिखाया है।
दरअसल, वेदांत ने पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में दक्षिण जर्सी, डेलावेयर और पेंसिल्वेनिया के विभिन्न स्कूलों के कई छात्रों के खिलाफ विज्ञान विषय में आयोजित हाथों से मुक्त सेलफोन वार्तालाप के कारण ध्यान और प्रतिक्रिया समय पर प्रभाव नामक परियोजना के साथ प्रतिस्पर्धा कर परचम लहराया है।
आयोजित व्यवहार विज्ञान श्रेणी में डेलावेयर घाटी विज्ञान मेले में अमेरिका के राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार हासिल किया है। वेदांत की शिक्षा दीक्षा विलियम एलन मिडल स्कूल, न्यू जर्सी, अमेरिका में हो रही है।
वेदांत के पिता पंकज पुणे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर अमेरिका में कार्यरत हैं। मां रेम्या एमएस, जार्जिया टेक कंप्यूटर साइंस से अपनी प्रतिभा बिखेर रही हैं। दादा बालेश्वर यादव ने अपने पौत्र की सफलता पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वेदांत बचपन से ही काफी प्रतिभावान रहा है।
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उन्होंने कहा कि वेदांत ने अपनी 12 वर्ष की उम्र में प्रतिभा का परचम लहराते हुए न सिर्फ अपने घर-परिवार, जिले और राज्य का गौरव बढ़ाया है, बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित कर दिया है। दादा ने आगे कहा कि वेदांत की सफलता विज्ञान के प्रति उनकी रूचि, कड़ी मेहनत और समर्पण को दर्शाती है। वह धरसंडा और सिकंदरा मूल के छात्रों की प्रतिभा और क्षमता का एक चमकदार उदाहरण है और हम सभी को गौरवान्वित किया है।
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दादा ने बताया कि इस प्रतियोगिता में उसने न्यायाधीशों को इसकी मौलिकता और वास्तविक दुनिया में विषय की प्रयोज्यता, परिकल्पना परिभाषा, कार्यप्रणाली और प्रक्रिया, नियंत्रणों के उपयोग और परिणाम से प्रभावित किया।
उत्कृष्ट प्रयोग, विश्लेषण, व्याख्या और परिणामों की प्रस्तुति के लिए वेदांत की सराहना की गई और जजों ने उनके गहन शोध और अच्छी तरह से डिजाइन किए गए प्रयोग की जमकर प्रशंसा की।
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डीवीएसए के न्यायाधीशों ने टिप्पणी की कि वेदांत की परियोजना सुविचारित, प्रभावशाली और अच्छी तरह से क्रियान्वित थी। उन्होंने बताया कि विषय, प्रक्रिया की गहरी समझ का प्रदर्शन किया और इस क्षेत्र में उनका भविष्य उज्ज्वल है। वेदांत इस परियोजना को और अधिक प्रतिभागियों के साथ जारी रखने और बढ़ाने की योजना बना रहा है।