आशुतोष सिंह, जमुई: 15 अप्रैल से शुरू होने वाले बिहार जाति आधारित गणना के दूसरे चरण में आम लोगों के साथ-साथ भिखारियों और कचरा बीनने वालों की भी पहचान की जाएगी। यानी इस कार्य से जुड़े लोग भीख मांगने तथा कचरा बीनने के कार्य को अपने पेशे के रूप में अंकित करा सकेंगे, जो बिहार जाति आधारित गणना में जीविका का आधार माना जाएगा।
बिहार जाति आधारित गणना में सरकारी नौकरी, स्वरोजगार, कृषक, खेतिहर, मजदूरी सहित 15 पेशों को जीविका का आधार माना गया है, जिसमें भीख मांगना तथा कचरा बीनना भी शामिल है। इसके लिए अलग-अलग कोड दिए गए हैं। गणना के द्वितीय चरण में प्रगणकों को परिवार के सभी सदस्यों के लिए 17 कॉलम का फॉर्मेट भरना होगा और इस फॉर्मेट के आधार पर ऑनलाइन एंट्री भी की जाएगी।
17 कॉलम के इस फॉर्मेट में परिवार के सदस्य का पूरा नाम, पिता या पति का नाम, धर्म, आयु, वैवाहिक स्थिति, जाति, शैक्षणिक योग्यता, पेश, कंप्यूटर और लैपटॉप की जानकारी, मोटर यान संबंधी जानकारी, कृषि योग्य भूमि, आवासीय स्थिति, मासिक आय तथा आधार संख्या दर्ज करनी होगी। इन सभी जानकारियों के लिए बिहार जाति आधारित गणना के लिए कोड सार्वजनिक किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार, बिहार जाति आधारित गणना में तीसरे लिंग को मान्यता नहीं दी गई है। लिंग के लिए मात्र तीन कोड ही दिए गए हैं। 01 पुलिंग के लिए, 02 स्त्रीलिंग के लिए तथा 03 अन्य के लिए दिए गए हैं, जबकि तीसरे लिंक की चर्चा नहीं की गई है। राशन कार्ड संख्या दर्ज कराना तथा जाति प्रमाण-पत्र संबंधित सूचना देना अनिवार्य नहीं किया गया है। फिलहाल, बिहार जाति आधारित गणना के दूसरे चरण शुरू करने की तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। सभी प्रगणकों, पर्यवेक्षकों तथा अफसरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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बिहार जाति आधारित गणना के दूसरे चरण में ऑनलाइन तथा ऑफलाइन एंट्री के लिए भिखारी तथा कचरा बीनने वालों के लिए अलग कोड निर्धारित किया गया है। इसे जीविका के साधन के रूप में पेशा माना गया है। भिखारी के लिए 10 तथा कचरा बीनने वाले के लिए 11 नंबर कोड निर्धारित है।
-निर्भय कुमार, मास्टर ट्रेनर, बिहार जाति आधारित गणना, खैरा, जमुई।