जागरण संवाददाता, बक्सर। बिहार के बक्सर जिले के 28वें जिला पदाधिकारी के तौर पर बिहार सरकार ने अंशुल अग्रवाल को जिम्मेदारी दी है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2016 बैच के अधिकारी अंशुल मूल तौर पर राजस्थान के कोटा शहर के रहने वाले हैं। उनके पिता कोटा के बड़े व्यवसायी हैं।
उन्होंने आइआइटी मुंबई से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की है। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित 2015 की संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में 47वां स्थान हासिल किया था।
उन्होंने ठीक इसके पहले वाली यूपीएससी परीक्षा में भी कामयाबी हासिल की थी। हालांकि, तब उन्हें 389वीं रैंक हासिल हुई थी।
केंद्रीय उत्पाद एवं कर विभाग में प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए उन्होंने फिर से प्रयास किया और आइएएस बनकर अपना मुकाम हासिल कर लिया।
2012 में बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने एक साल तक निजी कंपनी में नौकरी भी की। लेकिन, इसमें उनका मन नहीं लगा और इसके बाद वे यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। इनकी पत्नी अलंकृता पांडेय भी 2016 बैच की आइएएस अधिकारी हैं।
वह 21 फरवरी 2020 से जिले में बतौर डीएम पदस्थापित अमन समीर की जगह लेंगे। समीर को सरकार ने अब सारण जिले का डीएम बना दिया है।
वह यहां तीन साल से अधिक रहे। अग्रवाल इससे पहले पड़ोस के भोजपुर जिले में उप विकास आयुक्त रह चुके हैं। फिलहाल वह बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त सचिव का दायित्व देख रहे थे।
इसके अलावा उनके पास बिहार एड्स नियंत्रण सोसायटी के परियोजना निदेशक और बिहार स्वास्थ्य सुरक्षा समिति के अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी का भी प्रभार था।
जिले के नए डीएम से लोगों को कई तरह की उम्मीदें रहेंगी। खासकर सरकारी कार्यालयों में मनमानी और भ्रष्टाचार रोकना उनके लिए चुनौती होगी।
हाल के दिनों में कई विभागों के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। एक-दो अधिकारी तो भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों की कार्रवाई के दायरे में भी आए।
लेकिन ज्यादातर मामलों में आधिकारिक स्तर से कोई प्रतिक्रिया नहीं होने के कारण लोगों में नकारात्मक भावना जगी है। चौसा ताप बिजली घर का गतिरोध दूर करना भी नए डीएम के लिए महत्वपूर्ण टास्क रहेगा।