जागरण संवाददाता, आरा। बिहार के भोजपुर जिले में सिविल कोर्ट परिसर में 23 जनवरी, 2015 को हुए बम विस्फोट के बहुचर्चित मामले में निचली अदालत ने दोषी लंबू शर्मा की फांसी की सजा बरकरार रखी है।
इस मामले में कोर्ट ने चार साल पूर्व ही उसे फांसी की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में अपील की गई थी।
इस पर हाईकोर्ट ने स्थानीय कोर्ट को कुछ कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए दोबारा सुनवाई करने का आदेश दिया था।
अपर जिला सत्र न्यायाधीश (अष्टम) ने बुधवार को दोबारा सुनवाई के बाद आरोपित लंबू शर्मा की फांसी की सजा बरकरार रखी। अभियोजन की ओर से पीपी नागेश्वर दुबे एवं एपीपी प्रशांत रंजन ने बहस की थी।
एपीपी रंजन एवं नागेंद्र सिंह ने बताया कि 23 जनवरी, 2015 को कोर्ट में पेशी के लिए आए लंबू शर्मा को पुलिस की अभिरक्षा से छुड़ाने के लिए बदमाशों ने बमबाजी की थी।
इसमें सिपाही अमित कुमार बलिदान हो गए थे। बम लेकर आई महिला नगीना देवी की भी विस्फोट में मौत हो गई थी। 15 लोग जख्मी हो गए थे।
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भगदड़ मच गई थी, इस बीच मौका देख कोर्ट में पेशी के लिए आए आरोपित लंबू शर्मा एवं अखिलेश उपाध्याय फरार हो गए थे।
बाद में जून 2015 में लंबू शर्मा और इसके कुछ दिनों बाद अखिलेश उपाध्याय पकड़े गए थे।
तत्कालीन अपर जिला और सत्र न्यायाधीश (तृतीय) त्रिभुवन यादव ने बम विस्फोट कांड की सुनवाई के दौरान 20 अगस्त, 2019 को लंबू शर्मा को फांसी एवं अखिलेश उपाध्याय समेत सात को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई थी।