संवाद सहयोगी, जमुई: झारखंड में कोल माइंस का टेंडर दिलाने का झांसा देकर हरियाणा के व्यापारी हरदीप दयाल को एक नहीं पांच करोड़ की चपत लगाई गई थी। इस षड्यंत्र में ठग गिरोह को जीआरपी के जवानों का भी साथ मिला। ठगी के बाद लूट का शिकार बनाने वाले गिरोह के सरगना रामाशीष उर्फ सुकुल ने खुद को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का करीबी बताया था। इतना ही नहीं भरोसा जीतने के लिए उसने मुख्यमंत्री के कथित पीए से हरदीप की बात भी कराई थी और नोटों के बंडल से भरा कमरा भी दिखाया था।
हरदीप का कहना है कि जो ट्रॉली बैग उनसे छीनी गई, उसमें पांच करोड़ के आसपास रकम थी। एक बार ठगों के भरोसे में फंसने के बाद वह लगातार उनके चंगुल में फंसता चला गया। बताते चलें कि सुकुल का लखीसराय में पुराना इतिहास रहा है। नोट दोगुना करने वाले गिरोह के सरगना के रूप में वह यहां खासा चर्चित रहा है। उसके राजनीतिक कनेक्शन भी रहे हैं। 2015 के चुनाव में उसने लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर भाग्य भी आजमाया था। 2020 में उसने राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया। फिलहाल वह रांची में रहकर मार्बल के व्यापार की आड़ में ठगी का धंधा चला रहा था।
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करोड़ों के इस गोलमाल में रेल पुलिस के दामन पर भी बड़ा धब्बा लगा है। जिस जीआरपी के ऊपर सुरक्षित यात्रा की जिम्मेदारी होती है, उसके जवानों ने ही सुकुल के शागिर्द के साथ मिलकर सुरक्षा में सेंधमारी कर दी। 17 साल पहले झाझा स्टेशन पर 2006 में भी ऐसी ही एक घटना घटी थी। तब सीसीटीवी कैमरे का जमाना नहीं था। इसके बावजूद तत्कालीन थानाध्यक्ष पर बर्खास्तगी की गाज गिरी थी।
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अब इस हालिया मामले में जीआरपी के चारों जवान सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। गिरोह का सदस्य तनिक वर्मा भी जेल भेजा जा चुका है। पुलिस को सुकुल, सारा मैडम और लखीसराय के ही लाली पहाड़ी निवासी मुकेश ठाकुर के साथ-साथ रुपयों से भरे बैग की तलाश है। सारा मैडम नाम की महिला ने ही हरियाणा जाकर हरदीप के साथ पैसों की डील की थी और कोल माइंस दिलाने के नाम पर कागजात लिए थे।
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व्यापारी हरदीप दयाल ने बताया कि फरवरी महीने में सुकुल से उसकी जान पहचान हुई थी। इसके बाद से ही उसने खुद को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का करीबी बताकर कोल माइंस का ठेका दिलाने का प्रलोभन दिया। इसी सिलसिले में उसने रांची आकर विस्तृत बातचीत की थी। इसके बाद ही फर्म के सत्यापन के नाम पर सारा मैडम की एंट्री हुई। उसने दिल्ली पहुंचकर कंपनी का सत्यापन किया। इसके बाद सारे कागजात सही बता कर ठेका दिलाने का आश्वासन देने पर 50 लाख नकद सारा नाम की उक्त कथित महिला अधिकारी को दिया गया।
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बाद में फिर बुलाने पर 29 मार्च को वो अपने चाचा के साथ देवघर पहुंचे। वहां तत्काल 40 लाख रुपए खाते में डालने को कहा गया। इसके पहले भी 10 लाख रुपये सुकुल के बताए खाते में हस्तांतरित किए गए थे। इस बीच चार-पांच करोड़ रुपये का नकद भुगतान भी किया गया।
हरदीप ने बताया कि 39.40 लाख रुपया खाते में हस्तांतरित करते ही इस पूरे ठेका प्रकरण का सीन बदल गया। थोड़ी देर में सारा मैडम ने कागज में त्रुटि होने का हवाला देकर ठेका नहीं मिलने की बात कही। इस पर रुपया वापस मांगने पर तुरंत लौटा दिया गया। उसने 30 मार्च को देवघर से हमसफर एक्सप्रेस में वापसी का सफर शुरू किया। इसके पहले सुकुल ने भरोसेमंद बता कर तनिक और मुकेश को साथ लगा दिया। फिर इन लोगों ने ही जीआरपी की एस्कॉर्ट पार्टी से मिलकर लूट की घटना को अंजाम दे डाला।