जागरण संवाददाता, दरभंगा। बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने रविवार को कहा कि बिहार के कौशल पर हमें नाज है।
यहां के लोगों के बारे में कहा जाता है कि वे दूसरों का बोझ उठाने की नहीं, देश का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं।
उन्होंने कहा कि यहां के बच्चे दूसरे प्रदेशों में जाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इस पर हमें चिंतन करने की जरूरत है।
अन्यथा आने वाली पीढ़ी हमें चौराहे पर कोसेगी और कहेगी कि आप तो विश्वविद्यालय चला रहे थे, हमारे लिए क्या किया?
ऐसे में बच्चों का कोई दोष नहीं होगा, क्योंकि आने वाली पीढ़ी को संवारने का दायित्व हमारा है।
राजभवन, राज्य सरकार व विद्वतजन मिलकर एक नया शैक्षणिक वातावरण बनाएं। हमारी परंपरा और इतिहास बहुत गौरवशाली है।
वर्तमान के साथ भविष्य क्या होगा, इस पर भी मंथन करने की जरूरत है। वे कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय की सीनेट की 46वीं बैठक की अध्यक्षता करने दरभंगा पहुंचे थे।
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सीनेट में प्रतिकुलपति डा. सिद्धार्थ शंकर सिंह ने चार अरब 56 करोड़ 59 लाख 11 हजार 927 रुपये घाटे का बजट पेश किया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलाधिपति ने कहा कि बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में पेंशनरों की समस्याओं के निदान के लिए पेंशन सेल की स्थापना की जाएगी।
शिक्षक एवं कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति संबंधित कागजात की मॉनीटरिंग राजभवन से ही की जाएगी। वैसे शिक्षक व कर्मचारी जो 31 मार्च को सेवानिवृत्त होने वाले होंगे।
उनके पेंशन संबंधी सभी कागजात एक माह पूर्व हर हाल में तैयार कर लेना है। कुलाधिपति ने कहा कि हमें ईमेल, फेसबुक, ट्विटर के साथ-साथ अन्य माध्यमों से विश्वविद्यालयों की शिकायतें मिल रही हैं।
हम स्वयं इस मामले को देख रहे हैं। यही कारण है कि विश्वविद्यालयों में खुद जा रहा हूं ताकि सभी कार्य ठीक से हो।