जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। जिले में उच्च शिक्षा व्यवस्था की स्थिति बदहाल है। आजादी से पहले 1944 में खुले सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज के शिक्षा का हाल बदहाल है।
कॉलेज में कॉमर्स विभाग में एक भी नियमित प्राध्यापक नहीं हैं, इसके बावजूद प्रत्येक वर्ष कॉलेज के छात्र-छात्राएं टॉप कर रहे हैं।
इस वर्ष इंटर के परीक्षा में पांच छात्र-छात्राओं ने कॉर्मस में टॉप किया है। सौम्या शर्मा एवं रजनीश कुमार पाठक ने 475 अंक लाकर राज्य में कॉमर्स में पहला स्थान प्राप्त किया है।
तनुजा सिंह 474 अंक के साथ तीसरे, विधि कुमारी व सोनम कुमारी ने 468-468 अंक प्राप्त कर पूरे राज्य में कॉमर्स में चौथा स्थान प्राप्त किया है।
छात्र-छात्राओं का यह परिणाम गौरवान्वित करने वाला है, परंतु यहां शिक्षा व्यवस्था की बदहाल है। कोचिंग के सहारे छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर टॉप कर रहे हैं।
विभाग में एक भी नियमित प्राध्यापक नहीं है। बगैर प्राध्यापक के छात्र-छात्राएं पाठ्यक्रम पूरा करते हैं और परीक्षा में सफल होते हैं।
देखा जाए तो कॉलेज में अनुबंध पर बहाल शिक्षक किसी तरह विभाग का संचालन कर रहे हैं। रजनीश कुमार पाठक, तनुजा सिंह एवं विधि कुमारी ने बताया कि कॉलेज में प्राध्यापक नहीं होने से शिक्षा पर असर पड़ रहा है।
कोचिंग के सहारे पढ़ाई कर यहां तक पहुंचे हैं। छात्र-छात्राएं कॉलेज के कॉमर्स विभाग में नामांकन कराते हैं। परंतु यहां वर्ग संचालन करने नहीं जाते हैं।
प्राध्यापक नहीं होने के कारण यहां शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। इसे सुधरने की जरूरत है। कॉमर्स विभाग में एक भी नियमित प्राध्यापक नहीं है।
बताया गया कि पहले यहां एक प्राध्यापक डा. श्वेता गोयल पदस्थापित थीं, जिनका स्थानांतरण विश्वविद्यालय में हो गया है। डा. श्वेता करीब दो से तीन वर्षों तक महाविद्यालय में पदस्थापित थीं।
डा. गोयल के पहले यहां करीब आठ वर्षों तक पद खाली रहा था। वर्तमान में अनुबंध पर बहाल चार शिक्षक विभाग का संचालन कर रहे हैं। वे ही वर्ग संचालन से लेकर हर कार्य कर रहे हैं।
कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डा. अरविंद कुमार ने बताया कि विभाग में एक भी नियमित प्राध्यापक नहीं है। अनुबंध पर बहाल चार शिक्षक विभाग का संचालन कर रहे हैं।
सरकार को महाविद्यालय में नियमित प्राध्यापक बहाल किया जाना चाहिए ताकि शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर किया जा सके।
छात्र-छात्राओं ने इंटर परिणाम में कॉलेज का नाम पूरे राज्य में रोशन किया है। अगर कॉलेज में नियमित प्राध्यापकों की पदस्थापना हो जाए तो काफी बेहतर होगा।
छात्र-छात्राएं और बेहतर परिणाम दे सकेंगे। छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा दी जा रही है। प्रतिदिन नियमित तौर पर वर्ग का संचालन किया जा रहा है।