केवटी, विजय कुमार राय: केवटी प्रखंड में ताइवानी तरबूज की खेती कर किसान समृद्धि की इबारत लिखने को तैयार हैं।
किसान श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रखंड की नयागांव पूर्वी पंचायत के बाबूसलीमपुर गांव के किसान असदुल्लाह रहमान ने इसकी खेती की है।
आत्मा की ओर से वैज्ञानिक विधि से खेती कराई जा रही है। आत्मा के प्रखंड सहायक तकनीकी प्रबंधक मो. रशीदुल हक बताते हैं कि ताइवानी तरबूज 55-60 दिनों की फसल है।
उचित प्रबंधन कर किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं। इस फसल में टपक सिंचाई विधि काफी उपयोगी है। इसके अनेक लाभ हैं। कीटनाशकों एवं कवकनाशकों के घुसने की संभावना कम होती है। फसलों की पैदावार 150 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इससे मजदूरी, समय और धन तीनों की बचत होती है।
ताइवानी तरबूज पौष्टिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर होता है। इसमें पानी की मात्रा कम होती है और मीठा अधिक होता है। कच्चा रहने पर भी स्वादिष्ट लगता है। स्थानीय स्तर पर इसकी मांग काफी अधिक है। मार्केटिंग की भी कोई समस्या नहीं है।
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किसान डेढ़ लाख की लागत के आधार पर तीन से चार लाख प्रति एकड़ लाभ अर्जित कर सकते हैं। इस नवाचार के विस्तार में आत्मा की टीम लगी है।
असदुल्लाह रहमान ने बताया कि पहली बार वर्ष 2022 में सूक्ष्म सिंचाई योजना का लाभ लेकर खेत में ड्रिप लगाया था। उन्हें जब इस तरबूज के बारे में जानकारी लगी तो उन्होंने प्रायोगिक के तौर पर दो बीघा में इसे लगाया था।
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तरबूज का बीज ताइवान का है। खेतों में ड्रिप सिस्टम लगा देने से 50-60 प्रतिशत पानी की बचत होती है। साथ ही मजदूरी, समय और पैसा तीनों की बचत होती है। यह देसी तरबूज की अपेक्षा मीठा और स्वाद में बेहतर है।
इसमें विटामिन ए व सी और बीटा कैरेटीन भी होता है, जो कैंसर से लड़ने व गर्मी के दिनों में लू से बचने में मदद करता है। बताया कि एक एकड़ में सौ से डेढ़ सौ क्विंटल तक इसका उत्पादन होता है। इस तरबूज को लोग काफी पसंद करते हैं।
बताया कि इस बार उन्होंने पांच एकड़ में इस तरबूज की खेती की है। पिछले वर्ष 35 से 40 रुपये प्रति किलो की दर से इसकी बिक्री हुई थी, जबकि देसी तरबूज का 20 से 25 रुपये प्रतिकिलो था।
उनसे प्रेरित होकर केवटी के नागे सहनी व बरही के किसान मो. अली ने एक-एक एकड़ में ताइवानी तरबूज की खेती की है। ताइवानी तरबूज का बीज एक एकड़ में 200 ग्राम एवं देशी तरबूज का बीज करीब 500 ग्राम लगता है।