संवाद सहयोगी,जमालपुर (मुंगेर): जिले के जमालपुर आर्दश थाना के अंतर्गत फरीदपुर ओपी की पुलिस ने एक बेटे को उसके 18 वर्ष से बिछड़े पिता से मिलवाया। बुजुर्ग के बेटा और स्वजन कई साल पहले ही उनसे मिलने की आस छोड़ चुके थे, लेकिन जब पुलिस ने उन्हें फिर से मिलवाया तो सबकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। पिता को साथ पाकर बेटा और स्वजन काफी खुश दिखे। कुछ देर के लिए पूरा माहौल गमगीन हो गया। बुजुर्ग के परिवार और जमालपुर के प्रबुद्धजनों ने जमालपुर थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार के प्रति आभार भी जताया।
दरअसल, गया जिले के नीमचक बथानी स्थित जयनंदन बिगहा निवासी लालधारी यादव (वर्तमान उम्र 70 साल) चेन्नई में रहकर मजदूरी करते थे। 18 वर्ष पहले बीमार होने पर लालधारी यादव परिवार के साथ चेन्नई से गया अपने घर लौट रहे थे। इस बीच रास्ते में वह गुम हो गए। परिवार के सदस्यों ने उनकी काफी खोजबीन की, पर लालधारी यादव का कहीं पता नहीं चला। थक हाकर परिवार वाले निराश हो गए। इस बीच 16 मार्च की शाम एक फाेन कॉल ने परिवार के लोगों की वर्षों की आस को पूरा कर दिया।
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16 मार्च की शाम फरीदपुर ओपी को ग्रामीणों से सूचना मिली कि फरीदपुर गांव में तीन-चार दिन से एक बुजुर्ग भटक रहा है। बुजुर्ग की मानसिक स्थिति सही नहीं है। सूचना पर फरीदपुर ओपी में पदस्थापित सहायक अवर निरीक्षक विष्णुदेव प्रसाद सत्यापन के लिए पहुंचे। जमादार बुजुर्ग को लेकर ओपी पहुंचे और प्रेम से बुजुर्ग का नाम और पता पूछा। बुजुर्ग ने खुद का और गांव-पंचायत का नाम पुलिस को बताया।
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इसके बाद बुजुर्ग द्वारा बताई गई पंचायत के उप मुखिया के मोबाइल नंबर पर पुलिस ने संपर्क किया और बुजुर्ग के बारे में पूरी जानकारी दी। सूचना मिलने पर बुजुर्ग का छोटा पुत्र पप्पू यादव (उम्र 34 वर्ष) थाने पहुंचे और पिता को देखते ही पहचान लिया। बेटा पैर छूकर पिता के गले से लिपट गया। बेटे की आंखें खुशी के आंसुओं से भर गईं। पुलिस ने संतुष्ट होकर कागजी कार्रवाई करते हुए बुजुर्ग को बेटे के सुपुर्द कर दिया।
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पप्पू यादव ने बताया कि वर्ष 2005 में पिता जी बड़े भैया के साथ चेन्नई से बीमार होने पर घर लौट रहे थे। उस वक्त उनकी उम्र लगभग 52 वर्ष थी। ट्रेन से घर लौटते वक्त वह रास्ते से लापता हो गए। जिस वक्त पिताजी लापता हुए उस समय पप्पू की उम्र महज 16 वर्ष थी। इसके पहले किशोरावस्था में ही पप्पू ने पिता को आखिरी बार देखा था और अब शुक्रवार को बालिग होने पर पिता को फिर से देख पाया।
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लालधारी यादव की पत्नी का निधन 32 वर्ष पहले ही हो चुका है। लालधारी चेन्नई में मजूदरी करते थे और उनका बड़ा बेटा भी चेन्नई में ही रहता था। रास्ते में बिछड़ने के बाद 18 वर्ष तक वह पूरे परिवार से अलग रहे। शुक्रवार के दिन बुजुर्ग और स्वजनों की वर्षों की आस पूरी हो गई जब उन्हें एक-दूसरे का साथ मिला। छोटे बेटे को देखकर पिता की आंख से आंसू निकल गए। थाना परिसर में कुछ पल के लिए मार्मिक क्षण देखने को मिला। पिता को साथ लेकर छोटा बेटा पप्पू यादव अपने घर गया के लिए निकल गया।