ब्रह्मानंद सिंह, सुपौल: कोसी के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर तस्कर नजर गड़ाए हुए हैं। कुछ दशकों से यहां की प्राचीन व दुर्लभ मूर्तियां तस्करों के आकर्षण का केंद्र बिंदु रही है। तस्कर इस क्षेत्र के मंदिरों में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों की चोरी कर उसे विदेशी रईसों के हाथ ऊंची कीमतों पर बेच दे रहे हैं।
हाल में भी यानी 12 मार्च की रात सदर थाना क्षेत्र के सुखपुर गांव स्थित एक शिव मंदिर से दो सदी पुरानी पार्वती की मूर्ति चोरी कर ली गई। काले पत्थर से बनी वह मूर्ति काफी कीमती थी। इस गांव में यह मूर्ति चोरी की कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई बार मंदिरों से मूर्ति चोरी होने की घटनाएं हुई हैं।
करीब डेढ़ दशक पहले भी इसी गांव के एक ठाकुरबाड़ी से पीतल व पत्थर की 14 प्राचीन मूर्तियां चोरी कर ली गई थी, जिनमें से कुछ मूर्तियां घटना के डेढ़-दो साल बाद सुपौल रेलवे स्टेशन पर लावारिस हालत में बरामद की गई।
दरअसल, कोसी कालांतर में राजा-रजवाड़ों का क्षेत्र रहा है। यहां के राजा-महाराजाओं ने कई मंदिर बनवाए। उन मंदिरों में पत्थर, पीतल, अष्टधातु सहित अन्य धातुओं की मूर्तियां स्थापित की गई, जो मूर्तियां आज के समय में काफी दुर्लभ व कीमती है। अब स्थिति यह है कि चोरों के निशाने पर भगवान के रहने के कारण मंदिर वीरान हो रहे हैं।
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कोसी क्षेत्र से चोरी हुई मूर्तियों के कई मामले जमींदोज हो गए। चोरी हुई मूर्तियों का अपना इतिहास है, जिसे पुलिस आजतक ढूंढ़ नहीं पाई। साल 2002 में सदर थाना क्षेत्र के बरुआरी स्टेट से चोरी गई गंधवरिया राजपूतों की कुलदेवी भगवती जीवछ की मूर्ति का अता-पता आजतक नहीं चल पाया। दुर्लभ काले पत्थर से बनी वह मूर्ति काफी बड़े आकर की थी।
कहा जाता है कि वह मूर्ति जीवछ नदी में मिली थी। इसी तरह सदर थाना क्षेत्र के ही परसरमा गांव स्थित संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं के कुटी पर स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति लगभग एक दशक पूर्व चोरी हो गई थी। मूर्ति की बरामदगी को लेकर लोगों ने सड़क जाम भी किया था, लेकिन विडंबना है कि आज तक उस मूर्ति बरामद नहीं हो पाई। उक्त मूर्ति को स्वयं संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं ने अपने हाथों से स्थापित किया था।
भगवान भरोसे भगवान की सुरक्षा
कोसी क्षेत्र के मंदिरों में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। इसी का फायदा उठाकर तस्कर मंदिरों से मूर्तियों को चोरी कर ले जाते हैं। इन तस्करों के तार बांग्लादेश, नेपाल, थाईलैंड नेपाल से लेकर जर्मनी, आस्ट्रेलिया और अमेरिका तक जुड़े हैं। लगातार हो रही कीमती और प्राचीन मूर्तियों की चोरी की घटनाओं से मंदिरों के संरक्षण की जरूरत महसूस की जाने लगी है। इस क्षेत्र का शायद ही कोई ऐसा भाग है, जहां राजा-रजवाड़े के समय का मंदिर नहीं है और उसमें देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां नहीं है। फिर भी मंदिरों में किसी भी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है।