जहानाबाद, जागरण संवाददाता। बीएसएफ के पूर्व जवान मृत्युंजय की हत्या के एक आरोपी कल्लू शर्मा ने चुपके से कोर्ट में समर्पण कर दिया। मृतक जवान के पिता ने डीजीपी आरएस भट्टी से गुहार लगाई, तब आरोपी ने घबराकर सरेंडर किया।
कैरवा गांव के कल्लू शर्मा ने मंगलवार को जहानाबाद कोर्ट में चुपके से सरेंडर कर दिया। घोसी पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। वह हाथ ही मलती रह गई।
घोसी थानाध्यक्ष भवेश मंडल ने बुधवार को बताया कि उन्हें इस बारे में कोई सूचना नहीं है। रिमांड के बार में पूछने पर उन्होंने कहा कि अगर आरोपी ने सरेंडर किया होगा तो पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाएगा।
हत्याकांड में कल्लू शर्मा के अलावा कैरवा गांव के ही रंजीत, संजीत उर्फ डाक्टर, पप्पू कुमार, संजय रंगदार और सौरव कुमार को आरोपी बनाया गया था। इस मामले में पुलिस एक आरोपी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
22 जुलाई 2022 को अपराधियों ने हुलासगंज थाना क्षेत्र के लोदीपुर निवासी मृत्युंजय कुमार उर्फ सिपाही की हत्या कर दी थी। बालू उठाव के वर्चस्व में कैरवा बालू घाट पर इस वारदात को अंजाम दिया था।
इसके बाद, बदमाशों ने हत्याकांड को दुर्घटना का रूप देने की कोशिश की। उन्होंने शव को घोसी-हुलासगंज मुख्य मार्ग पर कैरवा-दरियापुर गांव के बीच लाकर फेंक दिया गया था। घोसी पुलिस ने शव और जवान की बाइक को सड़क किनारे से बरामद किया था।
मृत्युंजय बीएसएफ के जवान थे। उन्होंने दस साल तक देश सेवा करने के बाद नौकरी छोड़ दी थी। मृतक के पिता राम प्रकाश शर्मा ने घोसी थाने में अपने बेटे की हत्या का केस दर्ज कराया था।
राम प्रकाश शर्मा ने कहा कि मृत्युंजय हत्याकांड में स्थानीय पुलिस का रवैया शुरू से शिथिल रहा है। इसका फायदा आराेपियों को मिलता रहा। जांच के दौरान आराेपियों ने मिलीभगत कर इसे दुर्घटना का रूप देने की भरसक कोशिश की लेकिन एसपी दीपक रंजन ने मामले को भांप लिया।
एसपी ने हत्याकांड के गवाह और मजबूत साक्ष्य के आधार पर घटना को सही दिशा दे दी, जिससे बुजुर्ग पिता को न्याय मिलने की राह आसान हो गई पर एसपी की मुहर के बाद भी हत्यारोपितों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस लुकाछिपी का खेल खेलती रही।
22 जुलाई की शाम मृत्युंजय को फोन कर घटनास्थल पर बुलाया गया था। फोन आने के बाद मृत्युंजय अपनी बाइक लेकर निकल गए। रात 12 बजे के आसपास परिजनों को सूचना मिली कि मृत्युंजय की लाश सड़क पर पड़ी हुई है।
जवान के पैर, हाथ और सिर में गहरे जख्म के निशान थे। बांह और कलाई की हड्डियां टूटी थी। गले से सोने की चेन, अंगूठी, मोबाइल, पर्स समेत पहचान के सभी कागजात गायब थे।