दीपक कुमार गुप्ता, सिकटी (अररिया)। इंडो-नेपाल निर्माणाधीन बॉर्डर रोड के नो मैंस लैंड पर दशकों से अतिक्रमण का खेल चल रहा है। समय गुजरने के साथ नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण बढ़ता ही रहा।
दोनों देश के नागरिक नो मैंस लैंड पर घर और दुकान बनाए हुए हैं। अंचल स्तर पर भी इसको हटाने और रोकथाम को लेकर कोई रुचि नहीं दिखती।
घर और दुकान बनते जा रहे हैं और अंचल प्रशासन को इसकी जानकारी तक नहीं होती। सीमावर्ती प्रखंड क्षेत्र के सिकटी चौक से उत्तर धुनिया टोला में सड़क से पूरब तथा सीमा से पश्चिम एक दर्जन से ऊपर घर और दुकान नोमैंस लैंड पर स्थित है।
यह नजारा सिकटी, केलाबारी, लेटी, बौका मजरख, मेघा, मधुबनी, सोनामनी गुदाम सहित हर मुख्य सीमा पर देखने को मिलता है।
सिकटी प्रखंड में सोनामनी गुदाम से आमबारी तक लगभग 38 किमी की सीमा नेपाल से लगती है। सीमावर्ती क्षेत्रों में आलम यह है कि नो मैंस लैंड पर कहीं-कहीं लोग बस गए हैं।
अतिक्रमण के कारण बॉर्डर पिलर किसी के आंगन में है तो किसी के दरवाजे पर आ गया है। सिकटी बाजार में उत्तर की तरफ जाती सड़क नोमैंस लैंड से सटी है।
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इस सड़क के सामने भारत-नेपाल का सीमांकन करता पिलर है। पिलर के पूरब में सिकटी नेपाल सुनवर्षी नगर पालिका है और भारतीय क्षेत्र में सिकटी बाजार है।
सिकटी बाजार का लगभग 750 मीटर का नो मैंस लैंड एरिया अतिक्रमण का शिकार है। यहां कुछ लोगों द्वारा पक्की दीवार तो शौचालय का निर्माण भी कराया गया है।
सोनामनी गुदाम और सिकटी में दोनों देशों का सीमांकन करता पिलर न हो तो भारत-नेपाल सीमा की पहचान में भी परेशानी आएगी। चौकुठ मुख्य पिलर के दोनों तरफ आबादी है।
इतना ही नहीं बिहार सरकार की कुछ जमीन पर भी अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। सीमा पर एसएसबी की तैनाती के बाद भी नो मैंस लैंड को अतिक्रमणमुक्त नहीं कराया जा सका है।
दो दशक पूर्व ही भारत-नेपाल सीमा पर एसएसबी की तैनाती की गई। इसके बाद लोगों में यह उम्मीद जगी कि अब नो मैंस लैंड को अतिक्रमण मुक्त कराया जा सकेगा, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो सका है।
जानकारी के मुताबिक, इन दो दशकों में एसएसबी, नेपाल के सशस्त्र बल और अन्य प्रशासनिक अधिकारी नो मैंस लैंड को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर कई बार बैठकें कर चुके हैं। जिला प्रशासन द्वारा भी कवायद की जा चुकी है, लेकिन नतीजा सिफर रहा है।
नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण होने से सीमा पर तैनात जवानों को कई स्तरों पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एसएसबी अधिकारी और जवानों को सीमा पर पट्रोलिंग करने में परेशानी होती है।
वहीं, नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण के कारण सीमा पर दोनों देशों से कई तरह के अवैध कारोबार को अंजाम दिया जाता है।
नेपाल की ओर से मादक पदार्थ समेत कॉस्मेटिक सामान, कपड़ा, कोरेक्स, शराब, सुपारी, गोलमिर्च तो भारत से यूरिया, खाद्य पदार्थ, गेहूं, आलू आदि जाता है। सुरक्षा दृष्टिकोण से भी नो मैंस लैंड का अतिक्रमण एक गंभीर मसला है।
बॉर्डर पिलर के दोनों तरफ की 30 फीट जमीन नो मैंस लैंड के दायरे में आती है। एसएसबी अधिकारियों की मानें तो नो मैंस लैंड को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर स्थानीय अंचलाधिकारी और जिला प्रशासन से कई बार संपर्क स्थापित किया गया है। शीघ्र इस दिशा में एक बार फिर कार्रवाई की जाएगी।
नो मैंस लैंड पर जगह-जगह अतिक्रमण की शिकायत है। इसको लेकर नो मैंस लैंड पर बसे हुए लोगों का सर्वेक्षण किया गया है। यहां काफी समय से लोग घर बनाकर रह रहे हैं। सर्वेक्षण की रिपोर्ट के बाद नोटिस की गई है। -सौरभ अभिषेक, राजस्व पदाधिकारी सह प्रभारी सीओ सिकटी
नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण को लेकर जिला स्तरीय बैठक में वरीय अधिकारियों के बीच इस बात को रखा जाता है। नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण होने से दोनों देश के जवानों को ड्यूटी करने में काफी दिक्कतें होती हैं और असामाजिक तत्व इसका फायदा उठाते हैं। -ब्रजेश कुमार सिकरवार, कमांडिंग आफिसर, एसएसबी 52वी वाहिनी