संवाद सूत्र, परबत्ता (खगड़िया)। खगड़िया जिले के पसराहा थाना क्षेत्र के बड़ी पसराहा, छोटी पसराहा और सोंडिहा के आधे दर्जन मजदूर तमिलनाडु के जोलारपेट्टै स्टेशन से डेढ़ घंटे के रास्ते पर आरुढ़ में फंसे हुए हैं।
वे लोग आरुढ़ में तीन कमरों में बीते एक सप्ताह से एक तरह से बंद हैं। पसराहा पंचायत के मुखिया सुशीला संपत के प्रतिनिधि साकेत सिंह उर्फ गुड्डू ने इसकी पुष्टि की है।
ये मजदूर पाइप लाइन का कार्य करते हैं। जिस मालिक के अंदर काम करते हैं, उन्हीं के द्वारा दिए गए कमरों में ये रह रहे हैं।
इधर, वहां फंसे छोटी पसराहा के रुदल कुमार ने बताया कि आरुढ़ के आसपास खगड़िया समेत सहरसा, मधेपुरा जिले के कई मजदूर रह रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस मालिक के अधीन पाइप लाइन का काम करते हैं, वे बहुत ही मददगार हैं। वे खाना उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन यहां से घर जाने में डर लग रहा है।
रास्ते में कुछ हो न जाए। यहां रह रहे सोंडिहा के रंजीत कुमार ने बताया कि वे दिसंबर माह में यहां पहुंचे थे। बीते एक पखवाड़े से तमिलनाडु में विवाद शुरू हो गया है।
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हिंदी बोलने वाले लोगों की कठिनाई बढ़ती जा रही है। एक सप्ताह से हम लोग रूम के अंदर ही रह रहे हैं। यहां से बाहर निकलना मुश्किल है।
मोबाइल पर ही पसराहा पंचायत के वार्ड नंबर चार निवासी हरीलाल सिंह के पुत्र अजय कुमार ने कहा कि वे 22 दिसंबर 2022 को तमिलनाडु पहुंचे थे।
बीते 10 दिनों से जब हिंदी बोलने वाले को भगाना शुरू किया गया है, तब से डरे हुए हैं। डर से यहां से नहीं निकल रहे हैं। न जाने रास्ते में क्या हो जाए। इधर, घर पर इन मजदूरों के स्वजन चिंता में डूबे हुए हैं।
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इधर, खगड़िया डीएम आलोक रंजन घोष ने कहा कि अफवाह में न आएं। अगर कोई भी बात है तो जिला प्रशासन को सूचना दें। बिहार भवन दिल्ली भी तमिलनाडु सरकार के संपर्क में हैं।
कुछेक दिनों पहले बेलदौर के कुछ मजदूर तमिलनाडु से लौटे हैं। उन लोगों ने कहा कि किसी भी प्रकार की मारपीट नहीं हुई है।