प्रकाश वत्स, पूर्णिया। अमौर थाना क्षेत्र के खाड़ी महीन पंचायत के सलता गांव में गुरुवार की रात पंचायत के मुखिया सह ईंट भट्ठा मालिक साबिर आलम के घर हुई भीषण डकैती की वारदात का खौफ पूरे बायसी अनुमंडल क्षेत्र में सिर चढ़कर बोल रहा है।
यह खौफ बेजा भी नहीं है। पूरे 40 मिनट तक सलता गांव डकैतों के कब्जे में रहा था। बम बिस्फोट व ताबड़तोड़ फायरिंग के चलते लोग अपने घर का दरवाजा तक खोलने का हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
पंचायत के मुखिया के घर ही इस तरह की वारदात से लोगों को भयाक्रांत कर दिया है। बायसी अनुमंडल क्षेत्र में यह डकैती की पहली घटना नहीं है।
17 जनवरी को बायसी थाना क्षेत्र के कदवा बगवा टोली गांव में 10-12 की संख्या में आये डकैतों ने एक संवेदक के घर भीषण डकैती की वारदात को अंजाम दिया था।
बायसी अनुमंडल का जुड़ाव पश्चिम बंगाल की सीमा से है। महानंदा, परमान व कनकई नदी से घिरे इस अनुमंडल की भौगोलिक स्थिति भी काफी विषम है।
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मुखिया के घर के हुई भीषण डकैती में भी स्थानीय सहित पश्चिम बंगाल के गिरोह के संलिप्तता का संदेह पुलिस को है और उसी आधार पर इसकी जांच भी चल रही है।
सलता गांव में पीड़ित मुखिया का घर भी प्रधानमंत्री सड़क के किनारे अवस्थित है। यह सड़क खाड़ी महीन से मल्हाना गांव स्थित महानंदा नदी के तट तक जाती है।
महानंदा में वहां पुल नहीं बना और लोग अब भी नाव से आवागमन करते हैं। नदी पार किशनगंज का मुहम्मदपुर गांव है और उसकी पूरब से पश्चिम बंगाल की सीमा शुरु हो जाती है। माना जा रहा है कि वारदात को अंजाम देने के बाद डकैत इसी रास्ते से भागे।
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गत 17 जनवरी को डकैतों ने बायसी के कदवा बगवा टोली गांव में डकैती की बड़ी वारदात को अंजाम दिया था। यहां संवेदक मु. मुस्तकीम के घर वारदात को अंजाम दिया गया था।
इससे पूर्व वर्ष 2017 व वर्ष 2018 में भी इस थाना क्षेत्र के अलग-अलग गांव में डकैती की घटना हुई थी।
25-30 की संख्या में पहुंचे डकैत रात के करीब 11 बजे गांव में प्रवेश कर गया था। प्रवेश करते ही डकैतों ने मुखिया के पूरे आवास को अपने कब्जे में ले लिया।
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कुछ डकैत उनके घर में प्रवेश कर गये तो कुछ ने बाहर मोर्चा संभाल लिया। शोरगुल के बाद आसपास के लोगों की नींद खुल गयी और कुछ लोग मुखिया की घर के समीप आने लगे।
यह देख डकैतों ने बम बिस्फोट व फायरिंग शुरु कर दी। इससे बाहर निकले लोग भी फिर से घरों में दुबक गये और पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस जब तक वहां पहुंचती तब तक डकैत वहां से निकल चुके थे।