संवाद सूत्र, भगवानपुर: भभुआ शहर के भगवानपुर प्रखंड में उमापुर गांव स्थित हजारा शिवलिंग मंदिर अपनी प्राचीनता व अद्भुत स्वरूप के लिए जाना जाता है। जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर प्रसिद्ध मुंडेश्वरी धाम के पूर्व उमापुर गांव में स्थित है। महाशिवरात्रि हो या सावन, मुंडेश्वरी धाम आने वाले श्रद्धालु यहां शिवलिंग का दर्शन करना नहीं भूलते हैं। सावन का महीना शुरू होते ही हजारा शिवलिंग में जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ने लगती है तथा महाशिवरात्रि के दिन भी मुंडेश्वरी धाम आने वाले अधिकांश श्रद्धालु यहां भगवान शिव का दर्शन करने आते हैं।
मान्यता है कि यह शिवलिंग अपने स्वरूप में अद्भुत है। इसमें मुख्य शिवलिंग लगभग चार फीट ऊंचा है। जिसमें छोटे-छोटे आकार के एक हजार शिवलिंग जुड़े हुए हैं। इस कारण ही इसका नाम हजारा शिवलिंग प्रसिद्ध हुआ। मान्यता है कि यहां जलाभिषेक करने से एक हजार शिवलिंग की पूजा करने का फल मिलता है।
आचार्य उमाशंकर मिश्र ने कहा कि हजारा शिवलिंग का इतिहास मुंडेश्वरी मंदिर के समान प्राचीन है। इसका एक लिंग खंडित है, फिर भी यह दर्शनीय है। इतिहासकार डॉ. श्यामसुंदर तिवारी का भी मानना है कि हजारा शिवलिंग मुंडेश्वरी मंदिर की भांति ही मध्यकालीन है। संभवतः यह गुप्तकालीन है। जब शिव-शक्ति का प्रचार-प्रसार तेजी से हो रहा था तब यह शिवलिंग खुले मैदान में था, लेकिन कालांतर में इस मंदिर का निर्माण किया गया।
कहते हैं पुजारी-
"चार फीट ऊंचाई वाले इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना के लिए बिहार, झारखंड के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु महाशिवरात्रि व सावन के महीने में आते हैं और जलाभिषेक करते हैं। आस-पास के गांव व अन्य कई गांव के ग्रामीण सालों भर यहां दर्शन-पूजन करने आते रहते हैं।"
-संजय मिश्रा, पुजारी
वहीं, भगवानपुर प्रखंड के अंतर्गत ही रामगढ़ पंचायत की प्रवरा पहाड़ी पर स्थित अति प्राचीन माता मुंडेश्वरी मंदिर के गर्भगृह में चतुर्मुखी शिवलिंग विद्यमान है। यह शिवलिंग अति प्राचीन शिवलिंग माना जाता है और मुंडेश्वरी मंदिर की स्थापना काल से ही इसका अस्तित्व में होना बताया जाता है।
प्रधान पुजारी उमेश मिश्रा कहते हैं कि माता मुंडेश्वरी मंदिर में स्थित शिवलिंग संपूर्ण उर्जा से परिपूर्ण है। सूर्य की दिशा के साथ शिवलिंग का रंग परिवर्तन होता है। इस शिवलिंग के दर्शन-पूजन से मनुष्य को सुख-शांति मिलती है तथा इन पर चढ़ाए गए जल की दो बूंद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती है।
हालांकि, आदिशक्ति के रूप में मां मुंडेश्वरी का मंदिर प्रसिद्ध है। यहां आने वाले श्रद्धालु शक्ति स्वरूपा मां मुंडेश्वरी के साथ भगवान शिव की भी पूजा अर्चना करते हैं। यहां महाशिवरात्र, श्रावण मास के अलावा अन्य कई विशेष अवसरों पर श्रद्धानुसार श्रद्धालु रूद्राभिषेक कराते हैं। इस मंदिर तक जाने के लिए रास्ता व सीढ़ी दोनों तरह से जाने की सुविधा है।