Bihar News: लखीसराय में जहां घूमते थे नक्सली और पसरा था खौफ, वहां जीविका के साथ महिलाएं लगा रहीं विकास की दौड़



मुकेश कुमार, लखीसराय: जिले के नक्सल प्रभावित सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत आदिवासी इलाके में जहां कभी नक्सली घूमते थे और खौफ था, वहां आज महिलाएं विकास की दौड़ लगा रही हैं। नक्सलियों के प्रभाव वाले गांवों में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं न सिर्फ सशक्त हुई हैं, बल्कि स्वरोजगार का रास्ता अपना कर आत्मनिर्भर बनी हैं। उस इलाके में जहां सरकार और पुलिस के खिलाफ लहरें चल रही थी, अब वहां विकास की बयार बहने लगी है। पहाड़ों के बीच बसे गांवों में जहां आबादी विकास की रोशनी देखने को लालायित थी, वहां जीविका समूह की महिलाएं बैठक कर ग्रामीणों को मुख्य धारा से जोड़ने में लगी हुई हैं। ये महिलाएं अपनी हुनर और मेहनत से स्वावलंबन की अनोखी कहानी गढ़ रही हैं।


नक्सल प्रभावित टाली कोड़ासी और राजघाट कोल में जहां दिन के उजाले में भी जाने में आमजन एवं पुलिस डरती थी, उन इलाकों में आज जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं बकरी पालन और पत्तल निर्माण कर अपनी आजीविका को सशक्त बनाने में लगी हुई हैं। गत सात फरवरी को समाधान यात्रा पर हलसी प्रखंड के शिवसोना गांव आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इन जीविका दीदियों के कार्यों की सरहाना की और उन्हें प्रोत्साहित किया।


नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जीविका ने स्वयं सहायता समूह का गठन कर वहां के ग्रामीणों को आजीविका का वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराया है। ताड़ी एवं शराब से जुड़े परिवारों को जीविका ने सतत जीविकोपार्जन योजना से जोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल किया। जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड से करीब दस किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित गांव टाली कोड़ासी में 13 और राजघाट कोल में सात समूहों का गठन कर 200 महिलाओं को जोड़ा गया है।


टाली कोड़ासी गांव के राधा जीविका समूह से जुड़े सीता जीविका महिला ग्राम संगठन की महिलाओं को सतत जीविकोपार्जन योजना से बकरी पालन के लिए प्रति सदस्य 30 हजार रुपये की राशि दी गई। समूह की अन्य महिलाओं को पत्तल निर्माण एवं बिक्री से जोड़कर उन्हें प्रशिक्षित किया गया। इसके बाद महिलाओं ने जंगल से पत्ते चुनकर पत्तल निर्माण शुरू किया एवं मांग के अनुरूप बाजार में पत्तल की बिक्री करने लगीं। इनके द्वारा निर्मित पत्तल 60 रुपये सैकड़ा की दर से बिकते हैं।

इस व्यवसाय से इन्हें सालाना लगभग 80 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। पत्तल निर्माण से जुड़ी समूह की महिलाओं को प्रति माह चार हजार रुपये का मुनाफा हो रहा है। समूह की सदस्य राधा देवी बताती हैं कि अब हम लोग समाज की मुख्य धारा से जुड़कर जीविका के संबल से जीविकोपार्जन कर रहे हैं और साथ ही अपने जीवन को और बेहतर बनाने के सपने को भी साकार कर रहे हैं।

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