सासाराम (रोहतास), जागरण संवाददाता। पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर चुके नक्सली अब निजी सुरक्षा गार्ड व चालक समेत अन्य क्षेत्रों में काम करेंगे, ताकि उनकी रूझान फिर से नक्सलवाद की ओर न हो सके। पिछले दिनों गृह विभाग के अधिकारियों की बैठक में सरेंडर करने वाले नक्सलियों के लिए वृहद कार्य योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें जीविका, बिहार कौशल विकास मिशन, श्रम संसाधन समेत अन्य विभागों से समन्वय स्थापित कर रोजगार की संभावनाओं को तलाशने का निर्देश दिया गया है।
यही नहीं, मुख्य धारा से जुड़े नक्सलियों का विस्तृत डाटा भी सैनिक कल्याण निदेशालय के तर्ज पर फार्मेट में तैयार होगा, ताकि इन्हें दी जाने वाली सुविधाओं व सहायताओं का अनुश्रवण किया जा सके। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास के साथ-साथ जीविकोपार्जन के साधन मुहैया कराने का निर्णय पूर्व में प्रभावित रहे नौहट्टा, रोहतास, (बड्डी) शिवसागर, राजपुर, चेनारी थाना क्षेत्र के लोगों के लिए राहत भरी बात है।
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नक्सलियों से प्रभावित गांवों की फिजा भी बिल्कुल बदल गई है। क्योंकि पुलिस या न्यायालय में सरेंडर करने व पुलिस के हत्थे चढ़ने वाले नक्सलियों में से अधिकतर उसी क्षेत्र के गांवों के रहने वालों में से हैं। उनके परिवार में अब मुख्यधारा से जुड़े रहने की ललक दिखाई दे रही है। वे भी अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर नेक इंसान व आला अधिकारी बनाना चाहते हैं।
बताते चलें कि पुलिस दबिश व प्रभावित क्षेत्रों में चलाए जा रहे पुलिसिंग सामुदायिक कार्यक्रम से प्रभावित होकर 2008 से अबतक नक्सल गतिविधियों में संलिप्त ढाई दर्जन उग्रवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। इनमें संगठन के कमांडर से लेकर कई हार्डकोर नक्सली शामिल रहे हैं। नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने की शुरूआत 2008 में तत्कालीन एसपी विकास वैभव के समय हुई थी। उन्होंने दो बार में 17 नक्सलियों को आत्मसमर्पण करवाकर रोहतास जिला को नक्सल मुक्त बनाने की मुहिम शुरू की थी।
इसके बाद यहां के एसपी रहे मनु महाराज ने दो जनवरी 2012 को एक दर्जन नक्सलियों को अत्याधुनिक हथियार के साथ सरेंडर करवाया था। उसके बाद के पुलिस कप्तान जिला प्रशासन के सहयोग से विकास व शांति की मुहिम को आगे बढ़ाने का काम करते रहे हैं।