जागरण संवाददाता, बक्सर। स्थानीय सांसद सह केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने जिले के चौसा में हुए पुलिस तांडव और हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की कार्रवाई अलोकतांत्रिक है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जिले के डीएम समेत कमिश्नर एवं सभी पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों से बातचीत हुई है। उन्हें कहा कि वे किसानों से तत्काल बातचीत की प्रक्रिया शुरू करें और तनाव कम करने की कोशिश करें। हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि देर रात पुलिस ने जिस तरह से किसानों के घर में घुसकर कार्रवाई की है, वह गुंडागर्दी थी। पुलिस का रवैया अलोकतांत्रिक था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने मांग की है कि जो भी दोषी पुलिस वाले हैं, जिन्होंने देर रात बिना वारंट के किसानों के घर में घुसकर लाठियां चलाईं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार धृतराष्ट्र बनकर यह सब नहीं देख सकते हैं। पूरी सरकार धृतराष्ट्र बन गई है। जनता को रोड पर छोड़ कर जदयू, राजद व कांग्रेस सहित उनके सहयोगी दल सत्ता का सुख भोग रहे हैं। युवा रोजगार मांग रहे हैं तो लाठी से पीटा जा रहा है, किसान हक मांग रहे हैं तो घरों में घुसकर उन्हें पीटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि नीतीश बाबू यही जंगल राज है।
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चौबे ने कहा कि 12 दिसंबर 2022 को उन्होंने कंपनी और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और उन्हें निर्देश दिया था कि वह शांतिपूर्ण तरीके से जमीन अधिग्रहण के मसले को समझाएं। जिला प्रशासन को भी आगाह किया था। किसानों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने सभी से अपील की है कि हिंसा न करें। हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है।
भाजपा नेता प्रदीप दूबे ने कहा कि चौसा के थर्मल पावर प्लांट में जिला प्रशासन की गुंडागर्दी देखने को मिली। पिछले तीन महीने से गांव के किसान अपनी समस्याओं को लेकर धरना पर बैठे थे, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड में मुआवजे की मांग कर रहे किसानों के घर में आधी रात को घुसकर उनके घर की महिलाओं और बच्चों को पीटा गया। इसके परिणाम स्वरूप ही लोग आक्रोश में आए और तोड़फोड़ की घटनाएं घटीं। ये जिला प्रशासन की नाकामी का परिणाम है।
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बिहार के बक्सर जिले के चौसा में थर्मल पावर प्रोजेक्ट से जुड़ी पाइप लाइन और रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसान बुधवार सुबह उग्र हो गए। मंगलवार की रात घरों में घुसकर पुलिस की पिटाई के विरोध में किसान सड़कों पर उतर आए। नाराज किसान बुधवार की सुबह जत्था बनाकर गांवों से निकले थे।
सुबह नौ बजे के आसपास करीब 500 किसानों ने अखौरीपुर गोला के पास कुछ पुलिस वालों को पीट दिया। इसके बाद सीधे पावर प्लांट पर पहुंचे और अंदर दाखिल होकर तोड़फोड़ शुरू कर दी थी। यहां 9.30 से करीब 11 बजे तक किसान उपद्रव करते रहे। इसके साथ ही कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान बचाव में प्लांट के सुरक्षा गार्ड और पुलिस की ओर से हवाई फायरिंग की गई।
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हालांकि, इस दौरान बाहर से कोई पुलिस बल नहीं पहुंच सका। किसानों के पावर प्लांट से बाहर निकलने के एक से डेढ़ घंटे बाद बाहर से पुलिस बल का पहुंचना शुरू हुआ। डीएम अमन समीर, एसपी मनीष कुमार सहित बक्सर जिले के सभी बड़े पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। दोपहर बाद पौने तीन बजे डीआईजी नवीन चंद्र झा भी प्लांट में पहुंचे। इसके बाद जिले के सभी थानों से पुलिस को यहां बुलाकर तैनात किया गया।
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पुलिस लाइन से भी फोर्स बुलाई गई है। पूरे जिले की दमकलों को आग बुझाने में लगाया गया है। तीन घंटे की मशक्कत के बाद भी कई जगह धुआं उठ रहा है। किसानों का उपद्रव प्लांट के बाहरी हिस्से तक सीमित रहा। अंदर कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ है। पुलिस ने कुछ किसानों को हिरासत में लिया है।
इधर, प्लांट के अंदर काम कर रहे कामगार डर की वजह से भाग गए हैं। अब मौके पर स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, लेकिन अगल-बगल के गांवों के लोग पुलिस की कार्रवाई की आशंका से सहमे हुए हैं। चौसा बाजार की ज्यादातर दुकानें पूरे दिन बंद रहीं।
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दरअसल, किसान चौसा के पास बन रहे थर्मल पावर प्लांट से जुड़ी जलापूर्ति पाइप लाइन और रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण के मुआवजे के मसले पर प्रदर्शन कर रहे थे। विरोध में किसानों ने निर्माणाधीन बिजलीघर के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया था। इसका तब तो प्रशासन ने कोई विरोध नहीं किया, लेकिन रात होते ही बड़ी संख्या में पुलिस बल प्रभावित गांवों में पहुंच गया। इस दौरान कई किसानों के घर में घुसकर पुलिस ने बेरहमी से मारपीट की।
सोशल मीडिया पर किसानों के साथ मारपीट के वीडियो वायरल भी हो रहे हैं। किसानों का दावा है कि पुलिस आधी रात के बाद बनारपुर और अन्य प्रभावित गांवों के किसानों के घर पहुंची। इस दौरान पुलिसवालों ने जबरदस्ती घरों में दाखिल होकर किसानों की पिटाई की। दैनिक जागरण वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।