संसू, ठाकुरगंज (किशनगंज)। कुत्ते इंसान के सबसे अच्छे दोस्त माने जाते हैं। ये इंसानी बस्तियों में रहते हैं और इंसानों ने सदियों से इनके साथ रहने की आदत डाली है क्योंकि गलियों में रहने वाले कुत्ते इलाके के चौकीदार की भूमिका भी अदा करते हैं, लेकिन ठाकुरगंज नगर सहित प्रखंड क्षेत्र के गांवों में ये कुत्ते इंसानों के दुश्मन बनते जा रहे हैं। इन कुत्तों की तादाद इतनी ज्यादा हो गई है कि प्रखंड क्षेत्र में घर से बाहर निकलना भी दुश्वार हो गया है। यहां आवारा कुत्तों का इन दिनों आतंक फैला हुआ है। नगर सहित प्रखंड क्षेत्र में पिछले साल करीब एक हजार लोगों को आवारा कुत्तों के काटने के सरकारी आंकड़े सामने आए हैं।
स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्ष 2022 में 936 लोगों को एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठाकुरगंज में आना पड़ा है, जो कुत्तों के शिकार बने हैं। यह वे लोग हैं जो अस्पताल पहुंचे, इसके अलावा भी काफी संख्या में लोग ऐसे हैं जिनको कुत्ते ने काटा, पर वे एआरवी लगवाने के लिए नहीं गए। वैसे तो गर्मी के मौसम में कुत्तों के काटने के ज्यादा मामले होते हैं लेकिन अगर ठाकुरगंज अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से दिसंबर 2022 तक हर माह ही कुत्तों ने लोगों को शिकार बनाया है। स्थिति यह है कि हर माह 57 या इससे अधिक लोग कुत्तों के काटने पर ठाकुरगंज अस्पताल पहुंचते हैं।
शहर एवं देहाती क्षेत्र को मिलाकर वर्ष 2022 में कुल 936 लोगों ने ठाकुरगंज अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) लिया है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जनवरी में 96, फरवरी में 73, मार्च में 84, अप्रैल में 71, मई में 80, जून में 79, जुलाई में 57, अगस्त में 58, सितंबर में 57, अक्टूबर में 65, नवंबर में 96 एवं दिसंबर में 111 बच्चे, युवा व बुजुर्ग पुरुष व महिलाएं आवारा व स्ट्रीट डॉग के शिकार हुए हैं और इन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन ठाकुरगंज अस्पताल से दी गई है।
इस संबंध में सीएचसी ठाकुरगंज के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जिस व्यक्ति को कुत्ता काट ले उसे चार एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाए जाते हैं। पहला टीका उस दिन जिस दिन कुत्ते ने काटा हो, दूसरा काटने से तीसरे दिन, तीसरा सातवें और चौथा 28वें दिन लगता है। उन्होंने बताया कि अगर किसी को कुत्ता गर्दन के ऊपर काटता है तो यह ज्यादा खतरनाक है। ऐसे लोगों को एआरवी के साथ-साथ इम्युनोग्लोबुलिन की डोज भी दी जाती है।
उन्होंने बताया कि यदि किसी को कुत्ते ने काट लिया है और वह एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाता है तो वह अपनी जान से खिलवाड़ करता है। कुत्ते के काटने का तत्काल प्रभाव नहीं पड़ता। जैसे-जैसे समय बीतता है वैसे-वैसे शरीर में संक्रमण बढ़ता जाता है। ऐसे में मरीज के शरीर में क्या परिवर्तन हो जाए यह किसी को नहीं पता। जरूरी है कि कुत्ते के काटने पर तत्काल एआरवी लगवाई जाए। उन्होंने बताया कि ठाकुरगंज अस्पताल में एंटी रेबीज का टीका पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कुत्ता काटने के बाद टीका जरूर लगवाना चाहिए।