राज्य ब्यूरो, सिवान: देश में जाति आधारित गणना कराने वाला बिहार पहला प्रदेश बन गया है। शनिवार को बिहार में अपनी समाधान यात्रा को आगे बढ़ाते हुए सीएम नीतीश रविवार को सिवान जिले में पहुंचे। इससे पहले वो वैशाली के भगवानपुर स्थित हुसैना में अपने समाधान यात्रा के क्रम में मुख्यमंत्री ने स्वयं जाति आधारित गणना का काम देखा।
पत्रकारों से बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना के दौरान अगड़ी जाति, पिछड़े वर्ग तथा दलित-महादलित सहित सभी वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति का भी पता लगाया जाएगा। सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी मिलने के बाद जो कमजोर होंगे, उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा। सभी जाति-धर्म के लोगों की स्थिति अच्छी होगी तभी राज्य आगे बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने पुन: यह दोहराया कि यहां जो रिपोर्ट तैयार होगी वह केंद्र को भी भेज दी जाएगी।
मुख्यमंत्री नीतीश ने कहा कि जातिगत जनगणना लोगों की तरक्की और उनके आर्थिक विकास के लिए जरूरी है। हमने केंद्र सरकार से पहले भी जाति आधारित गणना कराए जाने की मांग की थी। जब हम सांसद थे, तब भी यह मांग केंद्र सरकार से की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने निर्देश दिया है कि प्रशिक्षित लोगों को लगाएं। उधर, मुख्यमंत्री समाधान यात्रा के तहत रविवार को सिवान पहुंचे। कार्यक्रम से सामने आईं कुछ तस्वीरें।
समाधान यात्रा के तहत पचरुखी प्रखंड के सुपौली पंचायत में मुख्यमंत्री के स्वागत को तैयार जीविका दीदी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाधान यात्रा के दौरान यह कहा कि केंद्र सरकार की यह जिम्मेवारी है कि वह सभी राज्यों को आगे बढ़ाए। जब कुछ राज्य अविकसित रहेंगे तो देश कैसे विकसित होगा? सभी राज्यों को मिलाकर ही देश बना है। इसलिए केंद्र को सभी राज्यों पर ध्यान देना चाहिए। जाति आधारित गणना के संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कई जगहों पर लोग जाति की जगह उपजाति के बारे में बोल देते हैं, उससे काम नहीं चलेगा। इसके लिए आसपास के लोगों से भी जानकारी ली जाएगी। हमने अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि सही मायने में सबकी गिनती होनी चाहिए। इसके लिए जो गांव में रह रहे हैं, शहर में रह रहे या फिर घर छोड़कर बाहर रह रहे उन सभी के बारे में पूरी जानकारी ली जाए। इस रिपोर्ट को सरकार प्रकाशित भी कराएगी।
जाति आधारित गणना का काम शनिवार को मकानों पर संख्या अंकित करने के साथ शुरू हो गया। मकानों पर संख्या अंकित करने का काम 21 जनवरी तक चलेगा। इसके बाद मकानों के आंकड़ों को लेकर एप में डाला जाएगा। प्रगणक घर-घर जाकर लोगों की जाति और उनकी आर्थिक स्थिति व स्किल आदि के बारे में जानकारी लेंगे। दूसरे चरण में जाति की जानकारी ली जाएगी। उपजाति को नहीं बताकर अपनी जाति बतानी है।