राजेश कुमार, जहानाबाद : बचपन सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि कई रंग-बिरंगी यादों को सहेजने का एक सुंदर पिटारा है। जिले में 19 ऐसे बेगुनाह मासूम हैं, जिनका बचपन गुनहगार मां की ममता और आंचल की छांव पाने के लिए सलाखों के पीछे गुजर रहा है। रेत के ढेर पर बैठकर सपनों का घरौंदा बनाना इनके बचपन से गायब है। इनके लिए किलकारी भरना और कुछ पाने की जिद लगा लेना यहां संभव नहीं है। दहेज प्रताड़ना, दहेज हत्या, मारपीट और शराब बिक्री में जहानाबाद व अरवल जिले की 150 महिलाएं अभी जहानाबाद मंडल कारा में बंद हैं।
इनमें 19 महिलाओं के साथ उनके मासूम भी हैं। मासूमों को पता नहीं कि वो किस गुनाह की सजा भुगत रहे हैं। इनमें तीन ऐसे बच्चे हैं, जिनका जन्म ही जेल में हुआ। गिरफ्तारी के वक्त ये बच्चे मां की कोख में पल रहे थे। अपने जन्म के बाद से इन बच्चों ने बाहर की दुनिया नहीं देखी है और ना ही घर की दहलीज पर बैठकर खेलने का मौका मिला है। बैरक से तय समय के लिए बाहर निकलना, फिर बंद हो जाना। बच्चों के जीवन में यही शामिल होकर रह गया है। टॉफी या खिलौने के लिए रोते हुए जमीन पर लेट जाना बच्चों की आदत होती है, लेकिन जेल में बचपन का यह रंग फीका पड़ गया है।
2022 में शराब बेचने के आरोप में जहानाबाद व अरवल जिले में 514 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, जिसमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। इनमें तीन महिलाओं की गोद में उनका मासूम बच्चा भी था। मजबूरन अपने साथ मासूम को भी जेल ले जाना पड़ा। जेल ही अभी उनका संसार है। एक जनवरी की रात उत्पाद विभाग के द्वारा विशेष अभियान चलाया गया था, जिसमें शराब बेचने के आरोप में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था, दस में से नौ महिलाएं थीं। शकुराबाद थाना क्षेत्र के पोखवां गांव की रूनकी देवी अपनी दो वर्षीय बच्ची व लक्ष्मीनिया देवी अपने डेढ़ वर्षीय पुत्र के साथ जेल भेजी गई हैं।
जहानाबाद मंडल कारा के अधीक्षक राधेश्याम सुमन ने कहा कि इस समय जेल में कुल 150 महिला बंदी बंद हैं, उनके साथ 19 बच्चे भी जेल आए हैं। बच्चों के भरण-पोषण व स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जाता है। दूध व पौष्टिक आहार और जरूरी दवाइयां समय पर उपलब्ध कराई जाती है। टाफी व खिलौने भी दिए जाते हैं। दो दिन पहले भी शराब बेचते पकड़ी गई दो महिलाएं गोद में अपने दो बच्चों के साथ जेल आई हैं।
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