श्रीकांत दूबे, सिमरी (बक्सर)। जिले के सिमरी प्रखंड अंतर्गत केशोपुर गांव में जलशोध संस्थान परियोजना का निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। जनवरी माह के अंत तक लोगों को शुद्ध पेयजल का लाभ मिलने की संभावना है। इसके लिए ट्रायल शुरू हो गया है। लगभग 130 करोड़ रुपये की लागत से गंगाजल को ट्रीट कर आर्सेनिक प्रभावित गांवों में शुद्ध जलापूर्ति की योजना है। सिमरी और बक्सर के कुछ हिस्सों को मिलाकर 51 गांवों के 214 वार्ड में इस योजना से पानी सप्लाई होना है। इससे लगभग ढाई लाख लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब होगा।
दरअसल, वर्ष 2009 में परियोजना पर काम शुरू हुआ और 2012 तक इसे पूरा होना था। भू-अर्जन में देरी की वजह से निर्माण कंपनी को कुछ दिनों के लिए परियोजना पर काम बंद करना पड़ा। 2019 में तत्कालीन जिला पदाधिकारी राघवेंद्र सिंह और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने अधूरी योजना का निरीक्षण किया। इसके बाद नए प्राक्कलन के आधार पर सरकार द्वारा 163.3 करोड़ की राशि मंजूर की गई, जो आज करीब 190 करोड़ तक पहुंच गई हैं।
जलशोध संस्थान परियोजना के लिए 20 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। भू-अर्जन विभाग ने निर्धारित समय के अंदर मुआवजा नहीं मिलने पर आक्रोशित भू-स्वामियों ने निर्माण कार्य स्थल पर प्रदर्शन करते हुए काम बंद करा दिया। तकरीबन दो सालों तक यही स्थिति रही। अंतत: वर्ष 2014 में जिला प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए किसानों को मुआवजे का भुगतान किया।
केशोपुर में निर्माणाधीन जलशोध संस्थान से अलग-अलग गांवों के 214 वार्डों में शुद्ध पानी की आपूर्ति होनी है। इसमें बक्सर प्रखंड के भी 15 वार्ड शामिल हैं। प्रखंड कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो सिमरी प्रखंड में कुल 287 वार्ड हैं, परंतु जलशोध संस्थान के माध्यम से करीब 199 वार्डों में ही वाटर सप्लाई की जाएगी। ऐसी स्थिति में 88 वार्ड के लोगों को आर्सेनिक युक्त दूषित जल ग्रहण करने से मुक्ति नहीं मिलेगी, जबकि कुछ वर्ष पूर्व जलस्त्रोतों की जांच करने आई केंद्रीय टीम ने पूरे क्षेत्र को आर्सेनिक जोन घोषित किया था।
आर्सेनिक युक्त पेयजल के सेवन से चर्म रोग, श्वांस रोग, खून की कमी, हार्मोन संबंधी, पेट की बीमारी, नपुंसकता, थायराइड आदि बीमारी तेजी से फैल रही है। चिकित्सकों का कहना है कि अधिक गहराई वाले पानी में आर्सेनिक का मात्रा कम है। इसलिए करीब 300 फीट गहरे चापाकल का पानी ही यहां के ग्रामीणों को पीना चाहिए। वहीं, प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को खाना में दही, हरी सब्जी, फल, अधिक मात्रा में हल्दी, तुलसी दल का पत्ता व आंवला का सेवन करना चाहिए।
दियारे के लिए आर्सेनिक पानी जानलेवा बन चुका है। लोग कैंसर सहित कई अन्य से ग्रसित हो रहे हैं। पिछले साल महावीर कैंसर संस्थान के तत्वावधान में तीन सदस्यीय चिकित्सकों की टीम डा. अरूण कुमार के नेतृत्व ने तिलक राय के हाता, बकुलहापट्टी, रामोपट्टी सहित अन्य गांवों में जाकर सर्वे किया। इसके बाद चिकित्सकों ने माना कि आर्सेनिक पानी ग्रहण करने से कैंसर के रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वर्ष 2016 से 22 के बीच तिलक राय के हाता सहित क्षेत्र के अन्य गांवों में आर्सेनिक युक्त पेयजल ग्रहण करने से कैंसर की चपेट में आकर करीब एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है।
एवियन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट इंचार्ज उमेश चंद्र कुमार ने कहा, केशोपुर में जलशोध संयंत्र का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। जनवरी माह के अंत तक हर हाल में इसे चालू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वरीय अधिकारी खुद इसकी मानिटरिंग कर रहे हैं।
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