अलौली (खगड़िया), जागरण संवाददाता। खगड़िया जिले में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का भगवान ही मालिक है। खासकर नदी पार के विद्यालयों में भगवान भरोसे शिक्षा है। नदी पार के विद्यालयों का निरीक्षण करने से अधिकारी भी कतराते हैं। यहां के अधिकांश विद्यालयों में कब शिक्षक आते हैं और कब जाते हैं, इसका पता किन्हीं को नहीं रहता है। कभी-कभी मामला सामने आने पर हंगामा होता है, तब जाकर विभागीय अधिकारियों की तंद्रा टूटती है।
बागमती नदी पार चेराखेरा पंचायत की मध्य विद्यालय मंझवारी में सोमवार को दोपहर के 12 बजे तक एक भी शिक्षक नहीं थे। विद्यालय के वर्ग पांच के छात्र हिमांशु कुमार ने कहा कि, ताला नहीं खुला है। एक भी सर जी (शिक्षक) नहीं आए हैं। मध्याह्न भोजन भी नहीं बना है। अब हमलोग घर चले जाएंगे। सर जी हैं नहीं, तो कौन पढ़ाएंगे। वर्ग दो के अमरेश ने कहा कि एक भी मास्टर साहब नहीं हैं। आज रसोइया भी नहीं आई है। अब घर जा रहे हैं।
कई विद्यार्थी विद्यालय प्रांगण में कापी-किताब ले बैठकर शिक्षक का इंतजार कर रहे थे। यहां कहने को विद्यालय प्रधान और चार टोला सेवक कार्यरत हैं, लेकिन एक भी टोला सेवक मौजूद नहीं थे। इस संबंध में जब विद्यालय प्रधान विकास कुमार विमल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं कल निकाय चुनाव की ड्यूटी में था। रात में घर पहुंचा हूं। आज विद्यालय जाने के लिए घाट पर जब पहुंचा, तो नाव देर से खुली। विद्यालय पहुंचने वाला हूं। टोला सेवक क्यों नहीं पहुंचे हैं, इसका पता लगा रहे हैं। हां, एक टोला सेवक अब भी निकाय चुनाव को लेकर ड्यूटी में हैं।
मालूम हो कि विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या 461 हैं। यह नदी पार इलाके का महत्वपूर्ण विद्यालय है। यहां पठन-पाठन के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। स्थानीय कई अभिभावकों ने इस ओर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया है। वहीं इस संबंध में प्रभारी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अरविंद कुमार ने कहा कि विद्यालय की जांच करेंगे। जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर विभागीय कार्यवाही होगी।