गोपालगंज, जागरण संवाददाता। ठंड के मौसम में धूल व धुआं के कारण आबोहवा लगातार खराब होती चली जा रही है। शहर में एक्यूआई लेबल बढ़कर 250 के पार चला गया है। ठंड के दस्तक व सड़कों पर ट्रैफिक लोड बढ़ने के अलावा हाइवे पर चल रहे निर्माण के कारणहवा में प्रदूषण घुलने लगा है। ऐसी स्थिति में अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। जानकारों की मानें तो जिला मुख्यालय में पिछले पांच दिनों से सुबह के समय एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर 220 के पार रह रहा है। अगर समय रहते नहीं चेते तो वातावरण में प्रदूषण और बढ़ सकता है।
बेतरतीब विकास के लिए खोदी गई सड़कों से उड़ती धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं शहर की आबोहवा को खराब करने का सबसे बड़ा कारण है। धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं की वजह से शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार खराब चल रहा है। शहर के बीचोबीच से गुजर रही एनएच 27 पर एलिवेटेड कारीडोर के निर्माण पर लगातार काम होने के कारण इस इलाके की एयर क्वालिटी सबसे अधिक खराब है। इसके अलावा धुआं, पराली जलाने, आग, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जित कार्बनिक तत्व, टूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल से जिले की आबोहवा खराब हो रही है।
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सबसे ज्यादा दिक्कत टूटी सड़कों से उडने वाली धूल तथा वाहनों से उत्सर्जित कार्बन की वजह से वातावरण दूषित होता है। इसके अलावा अन्य कई छोटे तत्व रहते हैं, जिनकी वजह से एक्यूआइ बढ़ जाता है। जिले में दीपावली पर शहर का एक्यूआइ 200 के करीब पहुंच गया था, लेकिन अगले कुछ दिनों में इसमें कमी आयी है। वर्तमान समय में यह 200 से 260 के बीच बना हुआ है।
शहर के संजय स्वदेश बताते हैं कि धूल और धुएं से दिल को सबसे अधिक खतरा रहता है। धूल व धुआं के कारण आंख, नाक, कान से धूल शरीर में भर जाती है। कई दिनों तक आंखों में नमी कम हो जाती है और सांस भारी सी लगती है। नींद का चक्र पूरा नहीं होता जिससे दिल के लिए खतरा बढ़ जाता है।
वहीं, स्थानीय निवासी धीरज सिंह कहते हैं कि निर्माण कार्य में निर्धारित मानक का पालन नहीं करने से समस्याएं बढ़ रहीं हैं। इसके लिए निर्माण कार्य के मानक का शत प्रतिशत पाजन करना होगा। इसके अलावा पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में वृहद जन जागरूकता अभियान चलाने की जरुरत है।