जागरण संवाददाता, सुपौल : जान समय से ज्यादा कीमती है, जो सुरक्षा से दोस्ती तोड़ेगा वह एक दिन दुनिया छोड़ेगा। एनएच 327ई पर ऐसे संदेश लिखा बोर्ड जरूर दिखते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश गंभीर दुर्घटना के शिकार हुए तो भाग्यवश ही सही सलामत रहने की व्यवस्था है। यहां चकाचक सड़कों के किनारे लोगों को सचेत करते बोर्ड और संकेतक तो जरूर हैं लेकिन दुर्घटना के शिकार के लिए आपातकालीन उच्च स्तरीय चिकित्सा की व्यवस्था नहीं है। चिकित्सा के क्षेत्र में आपातकालीन सेवाओं को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि यही वह सेवा होती है जहां किसी मरीज की जान बचाने या गंभीर दिव्यांगता से बचाने का उपक्रम सबसे पहले होता है।
देश में कुल मौतों में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या काफी अधिक है। सुपौल जिले में तो सड़क दुर्घटना ने एक रिकार्ड कायम कर लिया है। शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता हो जिस दिन कहीं न कहीं कोई सड़क दुर्घटना नहीं घटती हो। महीने में 12 मौत तो यहां औसत बताई जा सकती है। ईस्ट वेस्ट कारीडोर के बनने के साथ ही सड़क दुर्घटना की रफ्तार काफी बढ़ गई। स्थानीय लोगों द्वारा पीएचसी सरायगढ़ भपटियाही में ट्रामा सेंटर स्थापना की मांग होती रही है।