जागरण संवाददाता, मधेपुरा: सदर अस्पताल के चार स्टाफ नर्स ग्रेड ए को सिविल सर्जन की अनुशंसा पर निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं बिहार ने एक अगस्त से अगले आदेश तक के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
निलंबित स्टाफ नर्स पर प्रसूता से प्रसव पश्चात रुपये मांगने और नवजात शिशु की हुई मौत में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है। अस्पताल के प्रसव कक्ष में पिछले एक जून की रात बराही पंचायत के दूधैला गांव के राजकिशोर पासवान की पत्नी राजकुमारी देवी को प्रसव पश्चात पुत्र पैदा हुआ था। बेटा होने पर नर्स और ममता ने मुंह दिखाई की मांग कर नवजात के चेहरे को कपड़े से ढक दिया। इससे नवजात को सांस लेने में परेशानी होने लगी तो नवजात को एसएनसीयू में ले जाने को कहा गया। एसएनसीयू में बेड खाली नहीं रहने की बात कह वहां की स्टाफ नर्स ने नवजात की कोई जांच किए बिना बाहर रेफर कर दिया। लिहाजा इलाज के अभाव में नवजात की मौत हो गई। नवजात की मौत होने पर स्वजनों ने चिकित्सक और स्टाफ नर्स पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। साथ ही स्टाफ नर्स और ममता पर रुपये की मांग करने का आरोप लगाकर हंगामा किया गया था। घटना की शिकायत मिलने के बाद तात्कालिक सिविल सर्जन ने मामले की जांच तीन सदस्यीय कमेटी से कराई। जांच कमेटी द्वारा सिविल सर्जन को सौंपी गई रिपोर्ट में चिकित्सक डा. आरती कुमारी, डा. सैफुल्लाह को ड्यूटी से अनुपस्थित रहने की बात बताई। साथ ही स्टाफ नर्स कुमारी पूजा, संध्या कुमारी, कुमारी पूनम व रिद्धिमा मौर्य और ममता किरण देवी पर नवजात के स्वजनों से मुंह दिखाई मांगने और बीमार नवजात के साथ लापरवाही बरतने का लगाया गया आरोप सत्य बताया गया। जांच कमेटी की रिपोर्ट पर तात्कालिक सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख दोषी चिकित्सक, स्टाफ नर्स और ममता को निलंबित कर सभी के खिलाफ कार्रवाई का अनुशंसा किया था। सिविल सर्जन के अनुशंसा पर निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं बिहार ने तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक के लिए स्टाफ नर्स कुमारी पूजा, संध्या कुमारी, कुमारी पूनम और रिद्धिमा मौर्य को निलंबित कर दिया है। चारो स्टाफ नर्स का निलंबन आदेश आने के बाद सदर अस्पताल में हड़कंप मच गया है। संविदा पर कार्यरत नर्स को भी किया गया निलंबित निलंबित की गई चार स्टाफ नर्स में से दो नियमित है और दो संविदा पर कार्यरत हैं। संविदा पर कार्यरत कर्मियों पर कार्रवाई जिला स्तर या राज्य स्वास्थ्य समिति से होनी चाहिए थी, लेकिन संविदा पर कार्यरत स्टाफ नर्स के खिलाफ भी स्वास्थ्य विभाग से हुई कार्रवाई पर सभी अचंभित है। क्योंकि संविदा कर्मी को निलंबित नही किया जा सकता है। संविदा कर्मी पर दोष सिद्ध होने पर उसे चयन मुक्त किया जा सकता है या उसके मानदेय की राशि से कटौती करने का प्रावधान है, लेकिन ऐसा ना कर उसे भी निलंबित कर दिया गया है।
कोट तत्कालिक सिविल सर्जन द्वारा प्रधान सचिव को निलंबन और कार्रवाई के लिए भेजे गए पत्र में स्टाफ नर्स के नाम के आगे नियमित और संविदा भूलवश दर्शाया नहीं गया था। लिहाज विभाग ने चारों स्टाफ नर्स को नियमित समझ निलंबित कर दिया। सुधार के लिए विभाग को पत्र लिखा जा रहा है। -डा. अब्दुस सलाम, सिविल सर्जन, मधेपुरा