बाढ़ के 14 वर्ष बाद भी नहीं बना पुल, 50 हजार लोग प्रभावित



संवाद सूत्र, कुमारखंड (मधेपुरा): प्रखंड क्षेत्र के गोरधुआ धार पर बाढ़ के 14 वर्ष बाद भी पुल का निर्माण नहीं हो सका है। पुल नहीं बनाए जाने के कारण लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी होती है। इस वजह से ग्रामीणों ने बांस के पुल निर्माण कर उसपर आवाजाही के लिए विवश हैं।
मालूम हो कि 2008 के कुसहा बांध टूटने के कारण प्रखंड क्षेत्र के गोरधुआ धार बना पुल टूट गया। सड़के पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। बाढ़ के 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक ना ही पुल का निर्माण किया सका है और न ही सड़क के निर्माण के लिए कोई पहल किया गया है। आलम यह है कि पुल नहीं बनने से पुरैनी पंचायत वर्षों से दो भागों में बंटा हुआ है। आवाजाही का साधन नहीं होने के कारण पंचायत के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं। बताते चलें कि गोरधुआ धार पर बना पुल के टूट जाने के कारण बरसात के मौसम में पुरैनी पंचायत के आधी आबादी को रामनगर महेश व परमानंदपुर पंचायत के रास्ते घूम कर लंबा सफर तय करना लोगों की मजबूरी बन चुकी है। महज 500 मीटर की दूरी तय करने के लिए लोगों को तीन किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। इसके बाद भी सांसद, विधायक व जनप्रतनिधियों के द्वारा इस ओर उदासीनता बरती जा रही है। पुल के नहीं बनने से 50 हजार की आबादी पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। इसको लेकर लोगों ने बताया कि जल्द सरकार के द्वारा इस क्षेत्र में पहल नहीं किया तो आगे चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा। राजद के प्रखंड अध्यक्ष अरूण कुमार ने बताया कि सड़क व पुल के संबंध में पार्टी आलाकमान के समक्ष इस समस्या को रखा गया है। पुल व इस सड़क के निर्माण के लिए विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने का आश्वासन दिया गया है।

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