संवाद सूत्र, बिहारीगंज (मधेपुरा) : कम वर्षा ने इस बार किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। धान की रोपनी रुकी हुई है। किसान किसी तरह पंप सेट से पटवन कर रहे हैं, लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहा है। ऐसे में अगर जल्द वर्षा नहीं हुई तो परेशानी बढ़ सकती है।
कृषि विभाग ने इस बार 93,375 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है। इस बार 9,337 हेक्टेयर में बिचड़े गिराए गए हैं, लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण अब तक मात्र 50 प्रतिशत ही रोपनी हो पाई है। इस स्थिति में कृषि विभाग भी चितित है। अधिकारियों का कहना है कि 15 जुलाई तक अगर रोपनी नहीं हो पाई तो डीजर सब्सिडी पर विभाग विचार करेगा। साथ ही वैकल्पिक खेती को लेकर भी रणनीति तैयार की जा सकती है। वर्तमान स्थिति यह है कि धान के बिचड़े भी सूखने लगे हैं।
वर्षा में कमी से धान का रकवा घटने की संभावना मधेपुरा जिले के बिहारीगंज प्रखंड क्षेत्र में भूगर्भ का जलस्तर संतोषजनक है। यहां लगभग 20 फीट भूमि के नीचे से पानी निकलने लगता है। इस वजह से बोरिग कराने में काफी परेशानी नहीं होती है, लेकिन डीजल की कीमत में बेतहाशा वृद्धि के कारण पंपिग सेट से पटवन करने में खर्च का बोझ बढ़ने की उम्मीद है। यही वजह है कि खेतों में बोआई हो चुके धान की फसल पीली पड़ने लगी है। गर्मी की वजह से बिजली में लगातार कटौती के कारण खेतों का पटवन के लिए भरपूर मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा है। पारंपरिक धान की खेती के नाम से जानने वाला इस क्षेत्र में धान की खेती का रकवा पूर्व वर्ष की तुलना में घटने की उम्मीद जताई जा रही है। कृषि विज्ञानी की मानें तो अभी दो-तीन दिन तक पर्याप्त मात्रा में बारिश होने की उम्मीद नहीं है।
क्या कहते हैं किसान बिहारीगंज प्रखंड क्षेत्र के किसान विशुनदेव सिंह, संजय यादव, रमेश यादव, रामजी मेहता, रघु सिंह, मु. कलाम, विदयानंद ठाकुर, विदयानंद शर्मा, गौरीशंकर मेहता, मु. तजमूल, सुबोध यादव, रेशमलाल मेहता, संतोष यादव, दीनानाथ राय, मनोहर राय, नीरज मेहता, श्रीकांत यादव, अनिरूद्ध पासवान, पप्पू महतो आदि का कहना है कि मानसून के आगमन पर पूर्व में हुई वर्षा के कारण बिचड़े खेत में डाले गए थे। तेज धूप के साथ गर्मी के कारण बारिश नहीं होने पर पानी के अभाव में धान के बिचड़े सूख गए हैं। पंप सेट से पटवन कराकर बिचड़े को बचाकर बोआई करा रहे हैं, लेकिन प्रकृति की बेरूखी देखकर धान की पैदावार अच्छी नहीं हो पाने की उम्मीद लग रही है। इससे मेहनत के साथ आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
कोट कम वर्षा होने से धान की फसल प्रभावित होने की संभावना बन रही है। यदि पर्याप्त वर्षा नहीं होती है तो इस इलाके में धान की फसल का रकवा घट सकता है। ऊंची भूमि पर खेती करने वाले किसानों को दलहन खेती व सब्जी की खेती करनी चाहिए। -उमेश प्रसाद, बीएओ, बिहारीगंज