संवाद सूत्र, सिंहेश्वर (मधेपुरा)। बीएनएमयू में छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाना विवि की पहचान बन गई है। शिक्षकों के कापी मूल्यांकन कार्य के बहिष्कार रूपी आंदोलन को सुलझाने के बजाय विवि के कार्य स्थगन का निर्णय छात्र विरोधी है।
उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआइएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कही। उन्होंने कहा कि स्थापना के तीन दशक पार कर चुके बीएनएमयू में समय पर नामांकन, परीक्षा व परिणाम अब मानों गुजरे जमाने की बात हो गई है। विवि में बड़ी मुश्किल से स्नातक प्रथम खंड की परीक्षा हो सकी। कापी मूल्यांकन में जब शिक्षक नए बढ़े दर पर मूल्यांकन शुल्क देने की मांग कर रहे थे तब ऐसे में लगभग एक सप्ताह तक उनके आंदोलन को नजरंदाज कर अचानक मूल्यांकन कार्य स्थगन की अधिसूचना जारी कर दी गई। यह सरासर अन्याय और शिक्षकों के आंदोलन का मजाक बनाना है। इससे सत्र और विलंब होगा। कार्य के बाद उसका शुल्क मिलना चाहिए। लेकिन बीएनएमयू की कार्यशैली ऐसी की लगभग एक साल हो चुके स्नातक द्वितीय व तृतीय खंड की कापी मूल्यांकन तक का भी शुल्क शिक्षकों को नहीं दिया गया है। आज शिक्षक अपने हक की मांग कर रहे हैं तो मूल्यांकन कार्य स्थगन कर दी गई है। राठौर ने बीएनएमयू की कार्यशैली पर तंज कसते हुए कहा कि यह कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि उच्च सदन सीनेट, सिडिकेट के निर्णय और उसके आलोक में जांच कमेटी गठन के बाद भी शुल्क के मामले को सुलझाया नहीं जा सका है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि बीएनएमयू में उच्च सदन के फैसले सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। एआइएसएफ इस प्रकरण में पूरी तरह शिक्षकों के साथ है। विश्वविद्यालय अविलंब इस मामले में शिक्षकों की मांगों पर विचार के बजाय मूल्यांकन स्थगन के फैसले को वापस ले अन्यथा बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहे। जब विश्वविद्यालय को छात्रों के सत्र व भविष्य के प्रति दूरदर्शिता नहीं है तब विश्वविद्यालय के चलने का कोई औचित्य ही नहीं है।