जल-जीवन-हरियाली योजना से भी लालपुर के बड़की पोखर का नहीं हो सका कायाकल्प
संवाद सूत्र, हलसी (लखीसराय) : सरकार ने जलस्त्रोत को पुनर्जीवित करने एवं जल संरक्षण के लिए जल-जीवन-हरियाली योजना सहित कई अन्य योजनाएं संचालित की है। इसमें ग्रामपंचायत सरकार से लेकर जिलाधिकारी तक की जिम्मेदारी तय की गई है। अब तो केंद्र सरकार ने भी अमृत सरोवर योजना के तहत जलस्त्रोतों की खोज शुरू की है। बावजूद पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता एवं विभागीय मानिटरिग के अभाव में तालाब एवं पोखरों की खोज की रफ्तार धीमी है। हलसी प्रखंड की भनपुरा पंचायत के लालपुर गांव स्थित बड़की पोखर की तरफ किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं है। यह पोखर जलकुंभी से भरा हुआ है। योजनाओं के बावजूद इस तालाब की न तो खोदाई कराई गई और न ही सफाई करके जीर्णोद्धार ही किया गया। इस उदासीनता के कारण यह पोखर अपना अस्तित्व खा रहा है। ग्रामीण कामेश्वर राम ने बताया कि आजादी के पूर्व जमींदारी काल में ही गांव की उत्तर दिशा में खाता नंबर 132, खेसरा नंबर 1003, रकबा तीन एकड़, 64 डिसमिल में उक्त पोखर की खोदाई कराई गई थी। पहले यह पोखर इतना पवित्र था कि इस पर पूरी आबादी निर्भर थी। नहाने, पीने से लेकर अन्य काम के लिए इसके पानी का इस्तेमाल होता था। किसान पोखर के पानी से सिचाई भी करते थे। धीरे-धीरे उपेक्षा के कारण गाद और जलकुंभी के कारण पोखर प्रदूषित हो चुका है। अब इसका इस्तेमाल सिर्फ गंदगी फेंकने के लिए किया जाता है। भनपुरा पंचायत के मुखिया रणजीत कुमार पासवान उर्फ राजू ने बताया कि इस पोखर का जीर्णोद्धार कराकर इसे जीवनदान देने का काम किया जाएगा। गांव की पूरी आबादी को इससे लाभ मिलेगा। प्राक्कलन बनाकर इसे योजना में शामिल कराया जाएगा।