संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा)। प्रमंडलीय आयुक्त के निदेशानुसार बीते माह सिविल सर्जन द्वारा गठित टीम द्वारा प्रखंड क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित तीन नर्सिंग होम एवं निजी क्लीनिक को सील बंद किया गया। सील बंद किए गए अवैध रूप से संचालित संस्थानों को बिहार क्लीनिकल एक्ट 2013 के तहत 50-50 हजार रुपए का आर्थिक जुर्माना लगाया गया है।
विभागीय स्तर से किए गए उक्त कार्रवाई से अवैध रूप से संचालित संस्थानों के संचालकों के बीच हड़कंप मच गया है। मालूम हो कि बीते अप्रैल माह में सिविल सर्जन मधेपुरा के द्वारा गठित जांच दल में शामिल प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पुरैनी डा.विनय कृष्ण प्रसाद,अंचलाधिकारी किशुन दयाल राय एवं एसआई मृत्युंजय कुमार द्वारा जांच के दौरान मुख्यालय के अंबेडकर चौक स्थित रंजना नर्सिंग होम,मुख्यालय के राय ब्रदर्स दुर्गा मंदिर के समीप राजेश कुमार क्लीनिक एवं कुरसंडी पंचायत के भोला बाबू बासा स्थित रंजन मेडिकल क्लिनिक को अवैध रूप से संचालित पाए जाने पर उसे सील कर दिया गया था। सभी तीनों नर्सिंग होम एवं निजी क्लीनिक पर विभागीय स्तर से 50-50 हजार रुपए का आर्थिक जुर्माना किया गया है।
जांच के नाम पर की गई है खानापूर्ति : अप्रैल माह में गठित जांच टीम द्वारा महज एक दिन आठ संस्थानों की जांच की गई। किए गए जांच के दौरान उक्त आठ में से अवैध रूप से संचालित दो नर्सिंग होम एवं एक निजी क्लीनिक को सील कर उसकी खानापूर्ति कर दी गई। जबकि जांच के दिन जांच की खबर सुनते ही अधिकांश संस्थान संचालक अपने अवैध रूप से संचालित संस्थान को बंद कर फरार हो गए। जिसकी आज तक न तो जांच की गई है। और न ही उसपर कोई विभागीय कार्रवाई ही की गई है। जबकि यहां कई फर्जी डिग्रीधारी झोला छाप चिकित्सक बड़े-बड़े डाक्टरों के नाम का सिर्फ बोर्ड लगाकर क्लीनिक एवं नर्सिंग होम का संचालन कर रहे हैं। ऐसे कथित क्लीनिकों एवं नर्सिंग होम में मरीजों की जान के साथ रोजाना खिलवाड़ कर मोटी रकम की उगाही कर उसका आर्थिक शोषण किया जा रहा है। अधिकांश फर्जी संचालक ने खोल ली है दवा दुकान : प्रखंड क्षेत्र में अधिकांश निजी क्लीनिक संचालक विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए दवा दुकान खोल ली है। साथ ही दवा दुकान की आड़ में ऐसे दवा दुकानदार धड़ल्ले से निजी क्लीनिक एवं नर्सिंग होम का संचालन कर रोगियों का इलाज कर उसका आर्थिक शोषण करने में लगे हैं। इतना ही नही वे दुकान की बोर्ड पर अपने नाम के आगे डाक्टर लिखकर क्लिनिक एवं नर्सिंग होम का संचालन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं भोले-भाले लोगों का आर्थिक दोहन एवं शोषण करने पर तुले हैं। आयुर्वेदिक उपचार की आड़ में कर रहे शोषण : मुख्यालय में वर्षों पूर्व बिना चीड़-फाड़ के आयुर्वेदिक पद्धति से बाबासीर का इलाज करने आए एक बंगाली चिकित्सक अब बाबासीर का इलाज छोड़ धड़ल्ले से जहां सभी बीमारियों का इलाज करने लगे है। वहीं बाबासीर सहित अन्य अंगों का चीड़-फाड़ भी करने लगे है। उसके क्लीनिक पर दिन भर गंभीर से गंभीर दर्जनों रोगियों की भीड़ देखी जा रही है। बताया जाता है कि एक स्थानीय दवाई दुकानदार सहित कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की शह पर उसका गोरख धंधा वर्षों से फल-फूल रहा है।