संवाद सूत्र, सिंहेश्वर (मधेपुरा)। बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा में 18 मई से 16 जून तक आयोजित तीस दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला काफी सफल रही। इससे यहां के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का काफी ज्ञानवर्धन हुआ है और पूरे देश में विश्वविद्यालय की ख्याति बढ़ी है। यह बात उप कुलसचिव (अकादमिक) सह आयोजन सचिव डा. सुधांशु शेखर ने कही। वे शुक्रवार को कार्यशाला की समीक्षा कर रहे थे। यह गर्व की बात है कि हमारे विश्वविद्यालय ने बिहार में पहली ऐसी कार्यशाला का आयोजन किया। आगे यहां पैंतालीस दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने और पांडुलिपि संरक्षण केंद्र खोलने की भी योजना है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में तीस दिनों तक कुल एक सौ बीस कक्षाओं का संचालन किया गया। इसमें बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों यथा बीएनएमयू, मधेपुरा के अलावा टीएमबीयू, भागलपुर, एलएनएमयू, दरभंगा, पीयू, पटना के अलावा झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि पड़ोसी राज्यों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें विषय विशेषज्ञ के रूप में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से बाह्य विशेषज्ञ आए। इन बाह्य विशेषज्ञों में एक कुलपति, दो पूर्व कुलपति सहित संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रोफेसर शामिल थे। साथ ही इसमें कुछ युवा प्राध्यापकों, पुरातत्ववेत्ताओं और लिपि विशेषज्ञों की भी सेवा ली गईं। इनमें बीएचयू, वाराणसी के पुस्तकालयाध्यक्ष, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, अगरतला परिसर, अगरतला (त्रिपुरा) के डा उत्तम सिंह और महावीर मंदिर, पटना की पत्रिका धर्मायण के संपादक डाभवनाथ झा के नाम शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला पूर्णत: नि:शुल्क थीं। इसमें विशेष रूप से पूर्व में इक्कीस दिनों की बेसिक लेवल कार्यशाला में भाग ले चुके प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इन सभी प्रतिभागियों के लिए भोजन एवं उनकी आवश्यकतानुसार आवास की भी उत्तम व्यवस्था की गई थीं, जिसे सभी प्रतिभागियों ने सराहा।