संस, सहरसा : आमलोगों को सुलभ न्याय दिलाने, थाना तथा न्यायालय पर बढ़ रहे मुकदमों का बोझ करने के लिए सरकार ने ग्राम कचहरी को मजबूत करने की योजना बनाई थी। दूसरी ओर ग्राम कचहरियों को आवश्यकता के अनुसार न तो कर्मी दिया गया और न ही संसाधन उपलब्ध कराया जा सका।
फलस्वरूप ग्रामीण न्याय व्यवस्था पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कहीं ग्राम कचहरी को कार्यालय चलाने के लिए सरकारी भवन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो कहीं आवश्यक फर्नीचर, आलमारी व कार्यालय संबंधी अन्य चीजों का अभाव है। इससे ग्राम कचहरी के संचालन के नाम पर अधिकांश कचहरियों में महज औपचारिकता का निर्वहन हो रहा है। लोगों को इसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। -----------------
बिना किसी भवन का ही संचालित है 49 ग्राम कचहरी ----
अबतक जिले में 151 ग्राम कचहरी संचालित है। नए नगर निकायों के गठन के बाद इसकी संख्या में कमी आ सकती है। अधिकांश ग्राम कचहरी पंचायत सरकार भवन, सामुदायिक केंद्र में जैसे- तैसे संचालित है। वहीं 49 ग्राम कचहरी को यह सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। इन ग्राम कचहरियों का संचालन सरपंच के दरवाजे पर या किसी व्यक्ति के दलान पर संचालित होता है। लोगों के आवेदन प्राप्त करने और मामलों की सुनवाई आदि के लिए कोई सुव्यवस्थित जगह का अभाव है, जिसके कारण इसका सही तरीके से संचालन नहीं हो पा रहा है। मंगवार के सरपंच यशोधर मंडल कहते हैं कि बिना किसी सुविधा के लिए ग्राम कचहरी चल रहा है। विराटपुर की अनिता देवी कहती है कि ग्राम कचहरी को अधिकार तो दिया गया, परंतु सरकार संसाधनों के प्रति उदासीन है। खरका तेलवा के सरपंच हीरेंद्र मिश्र, मोहनपुर के शिवकुमार आदि का कहना है कि ग्राम कचहरी को सुव्यवस्थित होने से न्यायालय व थाना पर मुकदमों का बोझ घटेगा, लेकिन सरकार इस ओर गंभीर नहीं है। -------
जिलाधिकारी द्वारा सभी ग्राम कचहरी को सरकारी भवन में शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए कार्रवाई की जाएगी। नीरज कुमार
प्रभारी पंचायती राज पदाधिकारी, सहरसा।