संवाद सहयोगी, लखीसराय : लखीसराय जिला प्राकृतिक आपदा से हमेशा लड़ता रहा है। वर्तमान में जिले में सुखाड़ की काली साया मंडरा रही है। विगत दो साल से मौसम की दगाबाजी एवं बारिश नहीं होने के कारण खरीफ फसल खासकर धान की फसल पर संकट गहराता जा रहा है। इस वर्ष जिले में 37,739 हेक्टेयर जमीन में धान के फसल के लगाने का लक्ष्य निर्धारित है। इसको लेकर 3,773 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा गिराया जाना है। जिले में 15 जून से धान की फसल की रोपणी शुरू हो जाती है परंतु अबतक मात्र छह सौ हेक्टेयर जमीन में यानि निर्धारित लक्ष्य का मात्र 15 फीसद ही धान का बिचड़ा गिराया जा सका है। वह भी पानी के अभाव में पीला पड़ने लगा है। कृषि विभाग की मानें तो अगले कुछ दिनों तक अगर बारिश नहीं हुई तो जिले की स्थिति और भयावह हो सकती है। जिले में कतिपय साधन संपन्न किसानों को छोड़कर अधिकांश किसान मौसम की मार एवं सूखे खेत देखकर सुखाड़ की आशंका से सहमे हुए हैं। जिले के हलसी, रामगढ़ चौक, चानन, लखीसराय एवं सूर्यगढ़ा प्रखंड के अलीनगर से रामपुर तक का क्षेत्र, कजरा एवं पीरी बाजार क्षेत्र के किसान धान की फसल पर ही आश्रित हैं। परंतु वर्षा नहीं होने से किसान सुखाड़ की आशंका से हताश हैं।
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बोले जिला कृषि पदाधिकारी
जिला कृषि पदाधिकारी भरत प्रसाद सिंह की मानें तो अबतक निर्धारित लक्ष्य के 3,773 हेक्टेयर में धान के बिचड़ा की बोआई हो जानी चाहिए थी परंतु वर्षा नहीं होने से छह सौ हेक्टेयर जमीन में ही धान के बिचड़ा की बोआई हो पाई है। एक सप्ताह के भीतर पर्याप्त वर्षा नहीं होने से लक्ष्य के अनुरूप धान के बिचड़ा की बोआई नहीं हो पाएगी। ऐसी स्थिति में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप धान की फसल की रोपणी कराना मुश्किल होगा।