कुशेश्वरस्थान (दरभंगा)। यहां घड़ी नहीं, मौसम के हिसाब से कक्षाएं संचालित होती हैं। अगर मौसम मेहरबान हुआ, आसमान साफ रहा और धूप में थोड़ी नरमी रही तो बच्चे भविष्य का पाठ पढ़ते हैं, वरना घर बैठ स्वाध्याय ही सहारा है। कुशेश्वरस्थान प्रखंड के सोलह विद्यालयों का यही हाल है। यहां खुले आसमान के नीचे कक्षाएं लगती हैं। ये वो विद्यालय हैं, जिन्हें स्थापना के सोलहवें साल में भी अपना भवन नसीब नहीं हो सका। इनकी संख्या 16 है। इनमें से कई ऐसे हैं, जिनके पास खुद की जमीन भी नहीं।
अभी सुबह छह से ग्यारह बजे तक स्कूल खुलने का समय है, लेकिन हालत यह है कि सुबह सात बजे के बाद धूप की तपिश से बच्चों को बचाने के लिए कुछ जगहों पर चचरी डाला गया है। कहीं पेड़ के नीचे तो कहीं दलान में विद्यालय संचालित हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक 2006 में बाढ़ प्रभावित इस इलाके में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराने के लिए 16 विद्यालयों का सृजन किया गया। शिक्षक नियुक्त हुए। कक्षाएं संचालित होने लगीं, लेकिन भवन नहीं बनाए जा सके। इस बीच सरकार की तरफ से आदेश आया कि जहां कहीं भी स्कूल के पास अपना भवन नहीं है, उसे बगल के स्कूल से टैग कर दिया जाए, लेकिन यहां इस दिशा में भी कोई पहल देखने को नहीं मिला। प्राथमिक शिक्षा की यह व्यवस्था कागज की नाव पर सवार है। नतीजा खुले आसमान के नीचे शिक्षक बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं। इस वजह से अक्सर बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं। इन विद्यालयों के पास भवन नहीं
प्राथमिक विद्यालय नारायणपुर घाट (न भवन न जमीन)
प्राथमिक विद्यालय, परसंडा (भवन नहीं, जमीन उपलब्ध)
प्राथमिक विद्यालय, बिषहरिया (भवन नहीं, जमीन उपलब्ध)
प्राथमिक विद्यालय, सन्हौली (भवन नहीं, जमीन उपलब्ध)
प्राथमिक विद्यालय, बिष्णुपुर (भवन नहीं, जमीन उपलब्ध)
प्राथमिक विद्यालय, गजबोर (भवन नहीं, जमीन उपलब्ध)
प्राथमिक विद्यालय भठवन, (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, तिलाठी, (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, बिषहरिया (अजा ), (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, पिरोरी, (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, दरबेपुर, (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, तासमन पट्टी, (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, कमलावाड़ी, (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, लरनी, (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, मैरची, (भवन व जमीन दोनों नहीं)
प्राथमिक विद्यालय, लरही, (भवन व जमीन दोनों नहीं) विद्यालय निर्माण को मिले पैसे और जमीन
इन विद्यालयों के शिक्षकों का कहना है कि विभाग से भवन निर्माण के लिए राशि आवंटन का आग्रह किया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। राशि आवंटित नहीं होने के कारण भवन का निर्माण नहीं हो रहा है। शिक्षक कहते हैं भूमि अधिग्रहण की दिशा में विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है। पदाधिकारियों को भूमिहीन विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालय से जोड़ने के लिए कहा गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। मजबूरन छात्रों को चिलचिलाती धूप में खुले आसमान के नीचे पढ़ाना पड़ता है। इन विद्यालयों में नामांकित छात्रों की संख्या 50 से 60 है, लेकिन भवन नहीं होने के कारण 10 से 20 छात्र ही उपस्थित होते हैं। मध्याहन भोजन भी ठीक से नहीं चल पाता।
क्या कहते हैं अभिभावक
विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध है, लेकिन गांव का ही एक व्यक्ति उक्त जमीन पर अपना दावा कर रहा है। इसलिए भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा।
राम एकबाल माली
नारायणपुर घाट भवन नहीं रहने से छात्रों को खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ता है। इससे बच्चे बराबर बीमार पड़ते हैं। इस दिशा में सरकार को पहल करनी चाहिए।
रामपुकार यादव, ग्रामीण शिक्षा विभाग के अधिकारी को कई बार भवन निर्माण के लिए आवेदन दिया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। प्रशासनिक अधिकारियों को हस्तक्षेप करना होगा।
चलित्तर पंडित, ग्रामीण विवादों का जल्द निपटारा कर भवन निर्माण किया जाए ताकि छात्रों को धूप में न बैठना पड़े। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को जागना होगा।
सूरज पंडित, ग्रामीण कोट
भवनविहीन विद्यालयों के बारे में वरीय अधिकारियों को सूचना दी गई है। निर्देश मिलने के साथ इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई होगी।
मोहन चौधरी
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, कुशेश्वरस्थान