संस, सहरसा: कोसी क्षेत्र में कंदाहा को मत्स्यग्राम के रूप में विकसित करने और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के तहद उन्नत बीज उत्पादन के काम में अतिपिछड़ों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इन लोगों को छोटे- छोटे जलकरों के निर्माण और रेहु कतला, सिल्वर क्राफ्ट, कामन क्राफ्ट, नैनीग्रास आदि उन्नत किस्म के मत्स्यबीज तैयार करने का अवसर दिया जाएगा। इसके लिए इन मत्स्यपालकों को लागत मूल्य पर 90 फीसद अनुदान के अलावा भ्रमण दर्शन कार्यक्रम के तहद राज्य के विभिन्न स्थलों पर ले जाकर मत्स्यपालन का गुर भी सिखाया जाएगा।
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एक हेक्टेयर के तालाब निर्माण में लाभुक को लगेगा महज 70 हजार
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मुख्यमंत्री मत्स्य विभाग योजना से एक हेक्टेयर के नया तालाब निर्माण पर सात लाख रुपये खर्च का अनुमानित लागत तय किया गया। इस योजना से अतिपिछड़ा वर्ग को एक हेक्टेयर के तालाब निर्माण के लिए महज 70 हजार खर्च करना होगा। शेष छह लाख 30 हजार सरकार से उनके तालाब निर्माण हेतु अनुदान प्राप्त होगा। उन्नत बीज उत्पादन हेतु प्रति हेक्टेयर एक लाख 50 हजार लागत निर्धारित है। इसके लिए एक लाख 35 हजार अतिपिछड़ा वर्ग के लाभुकों को अनुदान के रूप में प्राप्त होगा। लाभुक को महज 15 हजार निज पूंजी लगाना पड़ेगा। इसके अलावा मछली की विक्री के लिए मोपेड, थ्री व्हीलर और फोर व्हीलर गाड़ी की खरीद पर भी 90 फीसद अनुदान प्राप्त होगा। इस योजना से इलाके के अतिपिछड़ा वर्ग के लोग काफी लाभांवित हो पाएंगे।
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जिला मत्स्य पदाधिकारी अंजनी कुमार ने बताया कि सरकार की इस योजना से कोसी क्षेत्र के अतिपिछड़ा वर्ग के मत्स्यपालक काफी लाभांवित हो सकते हैं। उन्हें 90 फीसद का अनुदान देकर रोजी उपलब्ध कराया जाएगा। इससे इनलोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।