मनरेगा योजना से प्रत्येक पंचायत में तैयार किया जाएगा जैविक खाद

संस, सहरसा : मिट्टी जांच प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार रसायनिक खाद के प्रयोग के कारण जिले की जमीन में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है। बावजूद इसके कृषि विभाग द्वारा जैविक खाद उत्पादन के लिए विगत तीन वर्षों से प्रोत्साहन राशि बंद कर रखा है। फलस्वरूप जिले में वर्मी कंपोस्ट का निर्माण ठप है। अब मनरेगा योजना के माध्यम से इस कमी को पूरा किया जाएगा।

स्वच्छता अभियान के तहत जिले में प्रथम चरण में 30 पंचायतों में मनरेगा योजना से नैडेफ का निर्माण कर ठोस व तरल से जैविक खाद तैयार किया जाएगा। दूसरे चरण में जहां जिले के सभी पंचायतों में यह अभियान चलेगा, वहीं पंचायतों में टंकी बनाकर जलकुंभी से जैविक खाद तैयार किया जाएगा। इसके लिए प्रथम चरण में जिले के सत्तर कटैया, महिषी और नवहट्टा प्रखंड के पांच पंचायत को पायलट प्रोजेक्ट के रूप चिह्नित किया गया है।

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जलकुंभी व गोबर से तैयार होगा उत्तम खाद
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कानपुर आईआईटी की टीम से समन्वय स्थापित कर सहरसा जिला प्रशासन जलकुंभी के निस्तारण व उसके विभिन्न उत्पाद की रणनीति बना रहा है। इसके तहत मनरेगा से सभी इच्छुक किसानों के घर पर टैंक बनाकर जिसमें जलकुंभी और गोबर के मिश्रण से खाद तैयार किया जाएगा। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खाद खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए काफी कारगर साबित होगा। इस खाद के प्रयोग से इलाके में जमीन को नवजीवन मिलेगा और कृषि उत्पाद में भी बढ़ोतरी होगी।
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प्रथम चरण में 30 पंचायतों में जैविक खाद निर्माण प्रारंभ किया जाएगा। दूसरे चरण में कचरा के साथ जलकुंभी से खाद निर्माण किया जाएगा। इसके लिए तैयारी प्रारंभ कर दी गई है।
अफरोज आलम
डीपीओ, मनरेगा, सहरसा।

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