जागरण संवाददाता, मधेपुरा : जिले में सड़क दुर्घटना बढ़ रही है। एक माह के दौरान 15 लोगों की मौत हो गई है। सड़क दुर्घटना में जख्मी लोगों की जान बचाने के लिए सदर अस्पताल परिसर में 2017 में ट्रामा सेंटर निर्माण की आधारशिला रखी गई थी, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी अब तक ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।
चार करोड़ 44 लाख 95 रुपये की लागत से निर्माण की जिम्मेवारी चिकित्सा सेवाएं व आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड को दी गई थी। ट्रामा सेंटर चार मंजिला बनना है। अब तक लगभग 50 प्रतिशत का काम हो चुका है। विशेषज्ञ के अनुसार सड़क दुर्घटना में जख्मी हुए 60 से 70 प्रतिशत लोगों की जान ट्रामा सेंटर में बचाई जा सकती है। स्वास्थ्य प्रशासन नहीं कर रहा पहल सदर अस्पताल परिसर में ट्रामा सेंटर भवन का निर्माण कार्य वर्ष 2020 के दिसंबर माह में पूर्ण होना था, लेकिन अब तक निर्माण कार्य अधूरा है। स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा भी ट्रामा सेंटर खोलने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। फलाफल लोगों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। निर्धारित समय को डेढ़ साल बीतने के बाद भी अबतक भवन निर्माण कार्य अधूरा है।
ट्रामा सेंटर के अभाव में रेफर किए जा रहे मरीज ट्रामा सेंटर खुलने से दुर्घटना में जख्मी हुए लोगों की जान बचती। मरीजों को व्यापक आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर उसकी जान बचाया जा सकता, लेकिन ट्रामा सेंटर नहीं रहने कारण सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी मरीजों को फिलहाल बेहतर इलाज के लिए बाहर के अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। बाहर ले जाने के क्रम में जख्मी मरीजों की प्राय: रास्ते में ही मौत हो जाती है। समय पर अगर अस्पताल परिसर में ट्रामा सेंटर खुल गया होता तो कितनी जिदगी को मौत के मुंह से बचाया जा सकता था। कोट अस्पताल परिसर में ट्रामा सेंटर के भवन का निर्माण कार्य में लगे संवेदक बीच में काम छोड़कर फरार हो गया है। इसकी सूचना विभाग को कई बार दी गई है। विभागीय स्तर से संवेदक के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। भवन निर्माण का कार्य पूर्ण होने के साथ ही ट्रामा सेंटर काम करने लगेगा। -डा. अमरेंद्र नारायण शाही
सिविल सर्जन, मधेपरा